हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों के दो साल के उच्च स्तर 7,990 रुपये पर पहुँचने के बाद हुई मुनाफा वसूली और नयी आवक के दबाव के कारण लगभग 9% की गिरावट दर्ज की गयी है। नयी फसल की आवक निजामाबाद से हो रही है और मार्च तक जारी रहने की संभावना है।
कुछ छोटी आवक इरोड और सांगली में भी हो रही हैं। लेकिन तेजी अभी भी समाप्त नहीं हुई है क्योंकि माँग-आपूर्ति में असंतुलन के कारण कीमतें 7,450-7,650 रुपये के दायरे में स्थिर रह सकती है। 2020-21 (जुलाई-जून) में उत्पादन में 10-15% गिरावट की संभावना है और उत्पादन पिछले वर्ष के 8.5 मिलियन बैग की तुलना में 7.5 मिलियन बैग (1 बैग=65 किलोग्राम) हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुये, 2020-21 में 2.7 मिलियन बैग के शुरुआती स्टॉक के साथ कुल आपूर्ति 10.2 मिलियन बैग हो गयी है। घरेलू और निर्यात सहित मसाले की औसत वार्षिक माँग 8.5 मिलियन बैग की अनुमानित है। अगले सीजन के लिए कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक 1.7 मिलियन बैग का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे कम है।
लंबे समय तक गिरावट के बाद, निचले स्तर की खरीदारी के कारण जीरा वायदा (मार्च) की कीमतें 2 महीने के उच्च स्तर 13,900 रुपये पर पहुँच गयी हैं। आगामी दिनों में तेजी बरकरार रहने की संभावना है और कीमतें 13,550-13,850 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। बाजार का फोकस अब नयी फसल की आवक की ओर हो गया है, लेकिन माँग की स्थिति सहायक बनी हुई है। अग्रणी उत्पादक राज्य गुजरात में बुआई के रुझान को देखते हुये फसल का आकार कम हो सकता है।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 6,450-6,550 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। हाजिर बाजारों में, धनिया में नमी की मात्रा में कमी को देखते हुये कारोबारियों को माँग बढ़ने की उम्मीद है। बारान और कोटा मंडी में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के मसाला मिलों की ओर से खरीद के ऑर्डर देखे जा रहे हैं। (शेयर मंथन, 22 फरवरी 2021)
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