एमसीएक्स पर कॉटन वायदा (जून) की कीमतों को 24,620 रुपये के पास रुकावट का सामना करना पड़ सकता है और कीमतों की बढ़त पर सीमित रह सकती है।
कारोबारियों का ध्यान बुवाई की प्रगति और विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन के फिर से खुलने के बाद घरेलू माँग में बढ़ोतरी पर है। उत्तरी राज्यों में बुवाई चल रही है, जबकि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। इस मौसम में, भारत की औसत उपज 498 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अनुमानित है, जो सामान्य मानसून की अपेक्षा पिछले वर्ष की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक है। माँग को देखें तो, कोविड-19 के कम मामलों के कारण चुनिंदा राज्यों में हाल ही में लॉकडाउन में छूट से कपड़ा निर्माण कार्यों, विशेष रूप से परिधन और घरेलू वस्त्रा निर्यात पर केंद्रित इकाइयों, में बढ़ोतरी होगी।
आपूर्ति में संभावित वृद्धि के कारण अरंडी वायदा (जुलाई) की कीमतों में 4,950-4,850 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। छोटी अवधि में आवक तेजी से बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि किसान जुलाई-अगस्त में बुवाई के मौसम से पहले स्टॉक को बाजार में उतारना चाहेंगे। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इस साल बुवाई में वृद्धि की उम्मीद और मानसून के दौरान सामान्य बारिश के पूर्वानुमान से सेंटीमेंट की भावना को मदद मिलेगी।
रबर वायदा (जून) की कीमतों में तेजी दिख रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार से सकारात्मक संकेतों के आधार पर कीमतें 17,700-17,900 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं। वैश्विक माँग में बढ़ोतरी के बीच आपूर्ति की कमी के कारण टोक्यो कमोडिटी एक्सचेंज में रबर कॉन्टैंक्ट में इस सप्ताह बढ़ोतरी होने की संभावना है। मई के उत्तराधर में थाईलैंड के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश के कारण प्राकृतिक रबर की आपूर्ति बाधित हो गयी थी। बारिश ने मलेशिया और भारत में भी उत्पादन को बाधित कर दिया है। प्राकृतिक रबर के लिए वैश्विक माँग का दृष्टिकोण बेहतर बना हुआ है क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को महामारी से पूर्व के स्तर पर वापस लाने के लिए अधिकांश प्रतिबंध हटा दिये हैं। (शेयर मंथन, 14 जून 2021)
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