हाजिर बाजार से बेहतर रुझानों के कारण हल्दी वायदा (जुलाई) की कीमतों में तेजी के रुख के साथ कारोबार होने की संभावना है।
कीमतों को 7,400 रुपये पर सहारा रह सकता है। बेहतर गुणवत्ता वाली आपूर्ति के कारण कई मंडियों में हल्दी की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। कारोबारियों के अनुसार, एक सप्ताह के अंतराल के बाद किसानों और स्टॉकिस्टों ने फसल की बेहतर गुणवत्ता को देखते हुये स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया है। वारंगल, केसमुद्रम और नांदेड़ मंडियों में हल्दी की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। स्थानीय उपभोक्ता केंद्रों से माँग में सुधार होता दिख रहा है, क्योंकि कई राज्यों ने लॉकडाउन हटा लिया है। मसाले की निर्यात माँग में भी तेजी देखी जा रही है।
जीरा वायदा (जुलाई) की कीमतों के 13,500 रुपये के स्तर पर सहारा बने रहने और 13,650-13,750 रुपये तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। निर्यात माँग मजबूत दिख रही है क्योंकि तुर्की और सीरिया जैसे अन्य निर्यात प्रतिस्पर्धिरियों के पास पेशकश करने के लिए निर्यात योग्य सरप्लस कम है। घरेलू बाजार में व्यापारियों के अनुमान से संकेत मिलता है कि जीरा का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 10 से 15% तक कम हो सकता है। 2019-2020 में जीरा का उत्पादन लगभग 92 लाख बैग (55 किलोग्राम प्रति बैग) हुआ था। इस सीजन में उत्पादन 85-90 लाख बैग के बीच हो सकता है। हाल ही में भारतीय रुपये के 74 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर से ऊपर रहने से भी स्थानीय उत्पादकों के लिए निर्यात आकर्षक बन गया है।
धनिया वायदा (जुलाई) की कीमतों में 6,850-6,959 रुपये के स्तर तक तेजी दर्ज की जा सकती है, जबकि कीमतों को 6,700 रुपये के स्तर पर सहारा है। हाजिर बाजार में स्थिर माँग के मुकाबले कम आवक से कीमतों को मदद मिल सकती है। हाल ही में कहा गया है कि आपूर्ति की गति धीमी रही है क्योंकि किसान बुवाई में व्यस्त हैं। इसके अलावा होरेका सेक्टर के फिर से खुलने से माँग में तेजी आ रही है, और इसलिए स्टॉकिस्ट व्यावसायिक गतिविध्यिों में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। निकट भविष्य में बेहतर दाम मिलने की उम्मीद में किसान भी कम कीमतों पर सौदा करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। (शेयर मंथन, 28 जून 2021)
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