हल्दी वायदा (अगस्त) की कीमतों के 7,200-7,400 रुपये के दायरे में मजबूत होने की संभावना है। स्थानीय उपभोक्ता केंद्रों और विदेशी बाजारों की ओर से माँग में गिरावट के कारण तेजी सीमित रह सकती है।
सभी मंडियों में निर्यात माँग बहुत ही नगण्य है। लेकिन इरोड और नांदेड़ मंडियों में स्थानीय खरीदारों की ओर से माँग बढ़ने से हाजिर कीमतों को कीमतों को कुछ मदद मिल रही है। बेहतर गुणवत्ता वाली आवक की कीमत भी अधिक है। व्यापार सूत्रों के अनुसार, उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली हल्दी की कुछ बोरियां 7,700 रुपया प्रति क्विंटल की दर से बिक रही है। लेकिन केसमुद्रम और वारंगल मंडियों में हल्दी की कीमतों में मंदी रही। गाथा वेराइटी की खराब गुणवत्ता वाली हल्दी की बिक्री कम हुई है।
स्थानीय और विदेशी बाजारों की ओर से कमजोर माँग और हाजिर बाजारों में संभावित आवक के दबाव के कारण जीरा वायदा (अगस्त) की कीमतों के 13,200 रुपये के सहारा स्तर से नीचे टूटने और 13,000 रुपये के स्तर तक लुढ़कने की संभावना है। अभी तक इस सीजन में कुल उत्पादन का 45-50 फीसदी ही बाजार में आया है। बेंचमार्क बाजार ऊँझा में, आवक 15,000 बैग (1 बैग=55 किलोग्राम) पर स्थिर है। एक्सचेंज क्वालिटी का जीरा 13,200 रुपये प्रति 100 किलो बिक रहा था।
हाजिर बाजार से कमजोर संकेतों और थोक खरीदारों की ओर से कमजोर माँग को देखते हुये धनिया वायदा (अगस्त) की कीमतों के 6,400-6,300 रुपये के निचले स्तर पर रहने की संभावना है। दक्षिण के खरीदार राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की मंडियों से खरीदारी करने से परहेज कर रहे हैं। उच्च उत्पादन अनुमान से भी कीमतों पर असर पड़ रहा हैं। भारतीय मसाला बोर्ड इंडिया के आँकड़ों के अनुसार, 2020-21 (जुलाई-जून) सीजन में धनिया का उत्पादन 8,22,210 टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष-दर-वर्ष 17.3% अधिक है। अच्छी क्वालिटी का ईगल व बादामी धनिया प्रति क्विंटल 70 रुपये के अधिक भाव से बिका। गुजरात की राजकोट मंडी में आवक प्रभावित हुई क्योंकि किसान बुवाई में व्यस्त थे। (शेयर मंथन, 12 जुलाई 2021)
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