कॉटन वायदा (अक्टूबर) की वायदा कीमतों में पिछले सप्ताह गिरावट हुई है और इसके नरमी के रुझान के साथ 26,700-25,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
बाजार की नजर मिलों की ओर से माँग के अपडेट पर है क्योंकि उत्पादन अनुमानों और आने वाले सीजन के लिए मौसम के जोखिम का असर पहले ही समाप्त हो गया हैं। विशेष रूप से चीन को कमजोर निर्यात आँकड़ों के कारण अमेरिकी कपास की कीमतों में गिरावट हुई। कताई मिलों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) की सीमित खरीदारी के बीच पिछले सप्ताह से गुजरात के बाजारों में कपास की कीमतें स्थिर है। वर्तमान में, कपास का बुवाई क्षेत्र कम है, लेकिन सभी राज्यों में फसल की स्थिति अच्छी है और पिछले कुछ वर्षों में सबसे कम कैरीओवर स्टॉक के साथ उत्पादन 360 लाख गांठ होने की उम्मीद है। पिछले सप्ताह ग्वारसीड वायदा (सितंबर) की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव हुआ है। कीमतों के 6 साल के उच्चतम स्तर को छूने के बाद आक्रामक मुनाफावसूली हुई। अब कीमतों में 5,500-5,300 रुपये तक गिरावट होने की संभावना हैं। राजस्थान में बारिश की कमी के कारण इस साल भी उत्पादन में गिरावट की उम्मीद है। 17 अगस्त तक ग्वार सीड का रकबा 20 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 23.9 लाख हेक्टेयर था। इसके अलावा, ग्वारगम के निर्यात और चुरी और कोरमा की घरेलू माँग से कीमतों को समर्थन मिला है।
अरंडी (सितंबर) वायदा कीमतों में पिछले हफ्ते 6,784 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुँचने के बाद जोरदार गिरावट देखी गयी। कीमतों में 6,400 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 5,900 रुपये के स्तर गिरावट उम्मीद हैं। गुजरात में अपर्याप्त बारिश के कारण इस साल अरंडी का उत्पादन कम हो सकता है। जून के महीने में अरंडी के तेल का निर्यात एक महीने की तुलना में बढ़कर अब तक के उच्चतम स्तर 81,750 टन पर पहुँच गया है। 2021 के पहले 6 महीने में, भारत पिछले साल के 3 लाख टन की तुलना में 3.6 लाख टन अरंडी के तेल का निर्यात किया है। 23 अगस्त तक पूरे भारत में अरंडी का बुवाई क्षेत्र पिछले साल के 3.80 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3.79 लाख हेक्टेयर रह गया है। निर्यात माँग और अरंडी के तेल का लगातार औद्योगिक उपयोग के कारण कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर बनी रह सकती है। (शेयर मंथन, 30 अगस्त 2021)
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