विश्व बाजार में कीमतों में तेजी के रुझान पर कॉटन वायदा (नवंबर) की कीमतों में कल 2% की बढ़ोतरी हुई।
उम्मीद है कि कीमतें 32,400-33,500 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। मिलों की ओर से खरीदारी बढ़ने के कारण महाराष्ट्र के बाजारों में कपास की कीमतों में 300-400 रुपये प्रति कैंडी की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण कपास की फसल क्षतिग्रस्त हो गयी, जिससे गुणवत्ता और नयी फसल की आवक प्रभावित हुई है। सीसीआई ने पिछले महीने में कपास की बिक्री के लिए अपनी दरों में 5,500 रुपये प्रति कैंडी की वृद्धि की है। हाल ही में, सीएआई ने 2020-21 में कपास के अपने अंतिम अनुमान को पिछले वर्ष की तुलना में 7.13 लाख गांठ घटाकर 360.13 लाख गांठ कर दिया है।
ग्वारसीड वायदा (दिसम्बर) की कीमतों में कल 5.1% की गिरावट हुई है। अब कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 6,000 रुपये तक कारोबार करने की संभावना है। नये सीजन के ग्वारसीड की आवक बाजारों में होने लगी है। वर्तमान में कम स्टॉक और लगातार निर्यात माँग के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 60% अधिक हैं। चालू सीजन में राजस्थान में ग्वारगम का रकबा पिछले साल की तुलना में लगभग 2-3 लाख हेक्टेयर कम होकर 21 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो एक दशक में सबसे कम रकबा है। अरंडी वायदा (दिसम्बर) की कीमतों में कल 1% की गिरावट हुई है। अब कीमतें 6,600 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 6,450 रुपये के स्तर तक गिरावट दर्ज कर सकती है।
अरंडी तेल और अरंडीमील की लगातार निर्यात माँग के कारण इस सीजन में कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों के लिए अरंडीमील का निर्यात पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 16% अधिक हुआ है, जबकि जुलाई-अगस्त 2021 में अरंडी का तेल निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा है। गुजरात में रकबा अच्छा होने से आने वाले सीजन में अधिक उत्पादन की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 11 नवंबर 2021)
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