विश्व बाजार में तिलहन की कीमतों में तेजी के रुझान के कारण सोयाबीन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में कल 6% की उछाल दर्ज की गयी।
अब यदि कीमतें 5,730 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 6,200 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। आने वाले सीजन में अंतिम स्टॉक के कम होने की आशंका से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में वृद्धि हुई है। मानसून की देर से वापसी के कारण 2021 में अधिकतम आवक की अवधि में लगभग एक महीने की देरी हो रही है। यूएसडीए की नवंबर मासिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सोयाबीन का उत्पादन माह-दर-माह 8% बढ़कर 11.9 मिलियन टन हो गया है।
सोयामील की अधिक कीमतों के कारण सितंबर में निर्यात तेजी से घटकर 5,831 टन रह गया है, जो एक साल पहले की अवधि में 68,576 टन हुआ था। कीमतों को नियंत्राण में रखने के लिए तिलहन और खाद्य तेल पर स्टॉक सीमा के कार्यान्वयन की समीक्षा को लेकर सरकार बहुत सतर्क है। खाद्य तेल की कीमतों में भी कल बढ़ोतरी हुई है। निचले स्तर की खरीदारी और बढ़ती माँग के कारण कीमतें अब धीरे-धीरे रिकवर हो रही हैं। नवंबर की पहली छमाही के दौरान निर्यात में वृद्धि के कारण मलेशियाई पॉम तेल वायदा की कीमतें बढ़त के साथ बंद हुई। लेकिन लगातार उच्च कीमतों से माँग को लेकर चिंता बरकरार है। कार्गो सर्वेक्षकों के आँकड़ों के अनुसार, 1-15 नवंबर के दौरान मलेशिया से निर्यात एक महीने पहले की तुलना में 10%-27% के बीच उछल गया।
डालियान का सोया तेल वायदा 0.2% बढ़ा, जबकि इसका पॉम तेल वायदा 0.4% बढ़ा। सीबीओटी पर सोया तेल की कीमतों में 0.7 फीसदी की गिरावट हुई है। खाद्य तेलों पर शुल्क मूल्य में बढ़ोतरी से गिरावट पर रोक लग रही है। रिफाइंड सोया तेल वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 1,215-1,220 रुपये तक बढ़त दर्ज करने की संभावना है जबकि सीपीओ वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 1,115-1,120 रुपये तक बढ़त दर्ज करने की संभावना है। (शेयर मंथन, 16 नवंबर 2021)
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