हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें शुक्रवार को 0.6% की बढ़त के साथ बंद हुई। कीमतों के 8,720 रुपये पर सहारा के साथ 9,000 रुपये तक बढ़त दर्ज करने की संभावना है।
वर्तमान में, देश के दक्षिणी हिस्सों में लगातार बारिश के कारण कम उत्पादन की उम्मीद पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 40% अधिक हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 7 महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में पिछले साल के मुकाबले 23% घटकर 89,850 टन निर्यात हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 6.5% अधिक है।
जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतें शुक्रवार को 0.6% की गिरावट के साथ बंद हुई। अब यदि कीमतें 16,140 रुपये से ऊपर खुलती है तो कीमतों में बढ़त दर्ज की जा सकती है और 16,240 रुपये पर अड़चन रह सकता हैं। कृषि विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 06 दिसंबर गुजरात में जीरा का रकबा केवल 2.38 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 3.81 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 4.66 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया था। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 17% घटकर 1.50 लाख टन रह गया है।
धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों के 8,500 रुपये पर सहारा और 8,810 रुपये पर बाधा के साथ एक दायरे में कारोबार करने की संभावना है। 06 दिसंबर तक गुजरात में धनिया का रकबा 1,08,923 हेक्टेयर आंका गया है जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 126% है लेकिन पिछले साल यह 1,15,969 हेक्टेयर था, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी बुवाई चल रही है, लेकिन कम क्षेत्र में बुआई की खबर हैं क्योंकि किसान तिलहन और दलहन की खेती की ओर स्थानांतरित हो गये हैं। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 33,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 28,800 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 8.6% अधिक है। (शेयर मंथन, 15 दिसंबर 2021)
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