ओमाइक्रोन कोरोना वायरस संस्करण को लेकर अनिश्चितताओं और मिलों की ओर से माँग के अभाव के कारण कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतों में शुक्रवार को 0.9% की बढ़त दर्ज की गयी है।
अब कीमतों के 32,570 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 33,250 रुपये तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। उत्पादन की चिंताओं और निर्यात के लिए कच्चे कपास की अधिक माँग के कारण वर्तमान में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 50% अधिक हैं। सीएआई के अनुसार, अक्टूबर 2021 में भारतीय कपास की आवक 31.12 लाख बेल रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल कपास की आवक 27.16 लाख बेल थी।
अधिक आवक और कमजोर माँग के कारण ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 1.5% की गिरावट हुई और कीमतें दो महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गयी हैं। अब कीमतों के 6,160 रुपये पर रुकावट के साथ 6,000 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है। वर्तमान में, कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 55% अधिक हैं। नये सीजन में ग्वारसीड की आवक घट सकती है क्योंकि कीमतें एक महीने के निचले स्तर पर आ गयी हैं। सितंबर में, ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 30% बढ़कर 24,800 टन हो गया, जबकि 2021-22 (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 43% बढ़कर 1.58 लाख टन हो गया।
अरंडी सीड वायदा (जनवरी) की कीमतों के 5,925 रुपये पर सहारा और 6,000 रुपये पर रुकावट के साथ सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है। ओमाइक्रोन कोरोना वायरस संस्करण को लेकर अनिश्चितताओं से माँग के अभाव के कारण कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमानों के अनुसार कम रकबे के कारण अरंडी का उत्पादन 15.98 लाख टन होने की संभावना है जो पिछले तीन वर्षों में सबसे कम होगा। अरंडी के तेल और मील के लिए पूरे वर्ष लगातार निर्यात माँग से कीमतें उच्च स्तर पर रह सकती हैं। (शेयर मंथन, 27 दिसंबर 2021)
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