आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में मजबूती के रुख घरेलू बाजार में कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतें लगातार पाँचवें सप्ताह बढ़त के साथ 36,390 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी।
अब कीमतों के 34,020 रुपये पर सहारा के साथ 35,200 रुपये से ऊपर बने रहने पर 38,000 रुपये तक बढ़ोतरी दर्ज करने की संभावना है। उत्पादन में कमी की आशंका और निर्यात के लिए कच्चे कपास की अधिक माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 70% अधिक हैं। वैश्विक स्तर पर, मजबूत माँग और शिपिंग संकट के कारण कम आपूर्ति होने से कपास की कीमतें पिछले साल की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक हैं। यूएसडीए की नवीनतम मासिक आँकड़ों के अनुसार 2021-22 में विश्व स्तर पर कपास उत्पादन 0.18% कम होकर 121.56 मिलियन बेल रह सकता है, लेकिन भारत में कपास उत्पादन में कोई बदलाव नहीं हुआ। आईसीई की निगरानी वाले डिपो में इस साल कपास का भंडार 99 फीसदी कम है। मजबूत माँग से आपूर्ति कम रहने की संभावना से न्यूयॉर्क में कपास की कीमतें 10 साल के उच्च स्तर पर पहुँच गयी हैं। चालू सीजन में, कुल उपलब्धता पिछले साल की तुलना में कम होगी, जबकि मिलों की ओर से और निर्यात के लिए अधिक माँग के कारण खपत बढ़ने की उम्मीद है। भारत में अब तक कुल आवक 120 लाख बेल हुई है, जबकि मिलों ने 90 लाख बेल खरीदी हैं और 10 लाख गांठ का निर्यात किया गया है।
माँग बढ़ने से ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में पिछले सप्ताह 3 फीसदी से अधिक की तेजी दर्ज की गयी। अब कीमतों के 5,860 रुपये पर सहारा के साथ 6,300 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। वर्तमान में, कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 59% अधिक हैं। दिसंबर के बाद से, निर्यात माँग में वृद्धि के कारण कीमतों में धीरे-धीरे वृद्धि हुई है। अक्टूबर में, ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 60% बढ़कर 27,150 टन हो गया, जबकि 2021-22 (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 46% बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया लेकिन अभी भी पूर्व-कोविड स्तरों तक नहीं पहुँचा है।
अरंडी बीज (फरवरी) वायदा की कीमतें लगातार पाँच साप्ताहिक नुकसान के बाद पिछले हफ्ते थोड़ी बढ़त के साथ बंद हुई। गुजरात में मौजूदा सीजन की तुलना में 2021-22 में उत्पादन पहले की अपेक्षा कम होने के अनुमान से कीमतों को मदद मिली। अब कीमतों के 5,850-6,220 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। गुजरात कृषि विभाग के दूसरे अग्रिम अनुमान ने अरंडी के उत्पादन को 1 लाख टन घटाकर 13.02 लाख टन कर दिया, जबकि पहले अनुमान में यह 14 लाख टन था। पिछले साल 13.45 लाख टन उत्पादन हुआ था। कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमानों के अनुसार कम रकबा होने के कारण अरंडी का उत्पादन पिछले तीन वर्षों में सबसे कम 15.98 लाख टन होने का अनुमान से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 34% अधिक हैं। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण पिछले तीन महीनों के दौरान अरंडी के तेल का निर्यात कम हुआ है। सितंबर-नवंबर के दौरान निर्यात पिछले साल के 1.65 लाख टन की तुलना में 16% घटकर 1.39 लाख टन रह गया। इसी तरह (अगस्त-नवंबर) के दौरान अरंडीमील के निर्यात में 32% की गिरावट हुई है। (शेयर मंथन, 10 जनवरी 2022)
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