हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में लगातार चार सप्ताह तेजी के बाद पिछले सप्ताह कुछ मुनाफावसूली देखी गयी।
इसकी कीमतों के 8,870-9,350 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। देश के दक्षिणी हिस्सों में नवम्बर में हुई लगातार बारिश के कारण कम उत्पादन की उम्मीद पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 55% अधिक हैं। लेकिन अनुमान से कम निर्यात के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लग रही रही है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 7 महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में, पिछले साल के मुकाबले 23% घटकर 89,850 टन निर्यात हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 6.5% अधिक है। उत्पादक क्षेत्रों, विशेषकर महाराष्ट्र में भारी बारिश को देखते हुये, फसल की उपज कम हो सकती है और दो से तीन सप्ताह की देरी हो सकती है। इसके कारण कर्नाटक में भी उत्पादन लगभग 20%-25% कम हो सकता है।
जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतों में 5 सप्ताह के उच्च स्तर से कुछ बिकवाली देखी गयी। लेकिन अब कीमतों के तेजी के रुख के साथ 15,900-16,700 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। जीरे की बुवाई की प्रगति अभी धीमी है। कृषि विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 20 दिसंबर तक गुजरात में जीरा का रकबा केवल 2.87 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.61 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 5.18 लाख हेक्टेयर में जीरा की बुआई हुई है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 17% घटकर 1.50 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 1.82 लाख टन हुआ था। उम्मीद के मुताबिक निर्यात नहीं बढ़ने से माँग फिलहाल सुस्त है। लेकिन निकट भविष्य में निर्यात माँग बढ़ने की उम्मीद है। ऊँझा बाजार में आवक 11,000-13,000 रुपये बोरी है, जबकि राजकोट मंडी में 1,000 बोरे की आवक हुई है।
कम माँग के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों में पिछले हफ्ते गिरावट हुई है। अब कीमतों के 8,690 रुपये पर रुकावट के साथ 8,150 रुपये के स्तर पर गिरावट दर्ज करने की संभावना है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बुवाई जारी है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बुआई की धीमी प्रगति की खबरें हैं क्योंकि किसान तिलहन और दलहन की फसल में स्थानांतरित हो गये हैं। लेकिन 20 दिसंबर को गुजरात में धनिया का रकबा 1,23,250 हेक्टेयर है, जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 142% है, लेकिन पिछले साल के 1,34,413 हेक्टेयर से कम है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 33,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 28,800 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 8.6% अधिक है। (शेयर मंथन, 10 जनवरी 2022)
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