कच्चे तेल की कीमतें इस उम्मीद पर बढ़त के साथ कारोबार कर रही हैं कि ओमाइक्रोन कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने के बावजूद ईंधन की माँग बनी हुई है और ओपेक और उसके सहयोगी केवल सीमित रूप में तेल की आपूर्ति बढ़ाना जारी रखेंगे।
कजाकिस्तान में बढ़ती अशांति और लीबिया में संकट के बीच आपूर्ति की चिंताओं के कारण दिसंबर के मध्य के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में सबसे अधिक साप्ताहिक बढ़ोतरी हुई है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के बड़े हिस्से में जमा देने वाली ठंड के कारण तेल की आपूर्ति बाधित होने के जोखिम के कारण तेल की कीमतों में पिछले हफ्ते बढ़ोतरी हुई है।
तेल की कीमतें 2021 में 50% बढ़ने के बाद इस वर्ष भी बढत जारी रहने की संभावना है और उत्पादन क्षमता की कमी और इस क्षेत्र में सीमित निवेश के कारण कच्चे तेल की कीमतें 90 या 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो सकती है।
कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,160 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 3,040 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों के 28 महीनों के ऊपरी स्तर पर पहुँच जाने से भारतीय विमानन कंपनियों के शेयरों में गिरावट आयी है।
कच्चे तेल में पूरे सप्ताह बिकवाली का दबाव देखा गया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस-यूक्रेन संकट के बाद बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए मई से शुरू होने वाले छह महीनों में प्रति दिन 1 मिलियन बैरल तेल जारी करने की घोषणा की।
वैश्विक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच आयातकों और बैंकों की ओर से ग्रीनबैक की बढ़ती माँग के बीच गुरुवार को इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 14 पैसे की गिरावट के साथ 70.94 के स्तर पर आ गया।
मिले-जुले रुझान के कारण कच्चे तेल की कीमतें सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है।
कच्चे तेल की कीमतों में कल तेज उछाल के बाद आज थोड़ी मुनाफा वसूली होने की संभावना हैं और कीमतों को 3,050 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 2,900 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
दुनिया भर में ऊर्जा आपूर्ति की कमी जारी रहने के कारण कच्चा तेल वायदा की कीमतें कई वर्षों के उच्च स्तर के करीब पहुँच गयी, जबकि चीन में कम होते तापमान ने इस चिंता को फिर से बढ़ा दिया कि क्या दुनिया का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता घरेलू हीटिंग जरूरतों को पूरा कर सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,180 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 3,020 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
तेल की कीमतों में 2,780-3,200 रुपये की एक बड़े दायरे में फंस गयी है जहाँ उच्च स्तर पर बिकवाली देखी जा सकती है क्योंकि निवेशकों को चिंता है कि अमेरिकी कांग्रेस एक स्टीमलुस पकैजे पर सहमत नहीं हो सकती।
कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,180 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 3,020 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,140 रुपये के स्तर पर रुकावट के साथ 2,960 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ सीमित कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,170 रुपये के स्तर पर बाधा के साथ 3,020 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना हैं और कीमतों को 3,080 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 2,890 रुपये के स्तर पर सहारा रह सकता है।
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सितंबर 2024 से मार्च 2025 तक निफ्टी 50 में 16.4%, निफ्टी मिडकैप 100 में 23.1% और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 27% की गिरावट दर्ज हुई है। क्या इस गिरावट ने बाजार में ‘सेल’ वाली स्थिति ला दी है?
निवेश मंथन के फरवरी 2025 अंक की आमुख कथा यह बता रही है कि सालाना 12 लाख रुपये से ऊपर भी आपकी आय करमुक्त कैसे रह सकती है। जी हाँ, 12 लाख तक ही नहीं, इससे अधिक कमाई पर भी संभव है शून्य आय कर।