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शेयर मंथन सर्वेक्षण : अबकी बार सेंसेक्स 30,000 के पार

शेयर बाजार के दिग्गजों का सबसे बड़ा सर्वेक्षण

भारतीय शेयर बाजार को साल 2014 की सबसे बड़ी देन यह नहीं है कि साल भर में सेंसेक्स 21,171 से 30% चढ़ कर 27,499 पर पहुँच गया, बल्कि सबसे बड़ी देन यह है कि बाजार का आत्मविश्वास लौटा है।

अब बाजार फिर से नयी ऊँचाइयों पर निगाहें टिकाने लगा है। उसे यह भरोसा हो चला है कि हाँ, वाकई आगे अच्छे दिन आने वाले हैं। इसीलिए जिन ऊँचाइयों के बारे में पहले लोगों के लिए सोचना भी मुश्किल था, उन्हें हासिल कर पाने के बारे में अब ज्यादा लोगों को यकीन होने लगा है।

छह महीने पहले जुलाई 2014 के शेयर मंथन सर्वेक्षण में भारतीय शेयर बाजार के दिग्गज विश्लेषकों के सामने यह सवाल रखा गया था कि क्या वे सेंसेक्स को आने वाले वर्षों में कभी एक लाख तक पहुँचता देखते हैं? अगर हाँ, तो कब तक? उस समय यह प्रश्न ज्यादातर लोगों के लिए कौतुहल वाला प्रश्न ज्यादा था। विश्लेषकों से अनौपचारिक चर्चा में यह कौतुहल ज्यादा खुल कर आता था। मगर शेयर मंथन के जनवरी 2015 के सर्वेक्षण में पहले से कहीं ज्यादा विश्लेषकों ने एक लाख के सेंसेक्स की संभावना को हकीकत के ज्यादा करीब माना है। 

एक लाख के सेंसेक्स पर विश्लेषकों के ताजा अनुमान हम आपके सामने रखेंगे, पर उससे पहले जरा यह देख लें कि बीते साल जनवरी और जुलाई के सर्वेक्षणों के अनुमान किस हद तक खरे साबित हुए। जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में विश्लेषकों का औसत अनुमान था कि दिसंबर 2014 के अंत में सेंसेक्स 23,867 और निफ्टी 6,917 पर पहुँच सकते हैं। भारतीय बाजार के ये दिग्गज सूचकांक इन अनुमानों से काफी आगे आ चुके हैं। सेंसेक्स 31 दिसंबर 2014 को 27,499 पर बंद हुआ है, जबकि निफ्टी 8,283 पर।

दरअसल जनवरी 2014 ही नहीं, बल्कि छह महीने पहले जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में आये अनुमानों को भी सेंसेक्स-निफ्टी की वास्तविक बढ़त ने पीछे छोड़ दिया। जुलाई 2014 में औसत अनुमान था कि दिसंबर 2014 के अंत में सेंसेक्स 27,264 और निफ्टी 8,100 पर होंगे। इससे पहले दिसंबर 2014 के पहले हफ्ते में निफ्टी 8,627 के रिकॉर्ड स्तर तक जा चुका है, जबकि सेंसेक्स ने नवंबर के आखिरी हफ्ते में ही 28,822 का नया रिकॉर्ड बनाया। 

इस तरह बीता साल बाजार के अनुमानों से कहीं बेहतर साबित हुआ। सेंसेक्स ने साल 2013 के बंद स्तर से लेकर 28,822 के उच्चतम स्तर तक 36% की उछाल दर्ज की, जबकि निफ्टी के लिए 8,627 के रिकॉर्ड स्तर तक की उछाल 37% की रही। 

अब सवाल आने वाले साल का। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि विश्लेषकों को बाजार में तेजी का रुझान जारी रहने की उम्मीद है। अगले छह महीनों में, यानी जून 2015 के अंत में सेंसेक्स 8.6% बढ़ कर 29,851 पर पहुँचने का औसत अनुमान सामने आया है। इसी तरह निफ्टी इन छह महीनों में 7.2% बढ़त के साथ 8,879 पर पहुँच सकता है। 

इस तरह बाजार की उम्मीदें जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में निकले जून 2015 के अनुमानों से आगे बढ़ी तो हैं, पर बहुत ज्यादा नहीं। तब विश्लेषकों की औसत राय थी कि जून 2015 के अंत में सेंसेक्स 29,326 पर होगा। उसकी तुलना में ताजा सर्वेक्षण में मिला 29,851 का लक्ष्य थोड़ा ही आगे है। निफ्टी के जून 2015 के लक्ष्य के बारे में पिछले सर्वेक्षण में 8,678 का औसत अनुमान मिला था। इस बार यह जरा बढ़ कर 8,879 पर पहुँच गया है। दरअसल दिसंबर 2014 के दौरान बाजार को लगे झटके ने बाजार की उम्मीदों को कुछ हल्का कर दिया, वरना ये लक्ष्य और ऊँचे हो सकते थे। 

सर्वेक्षण में शामिल 52.5%, यानी आधे से ज्यादा जानकारों ने अनुमान जताया है कि जून 2015 के अंत में सेंसेक्स 28,000 से ऊपर और 30,000 तक के स्तर पर होगा। जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में ऐसा मानने वाले विश्लेषक 41.7% थे। 

वहीं अब 32.5% विश्लेषकों के मुताबिक जून 2015 में सेंसेक्स 30,001-32,000 के बीच होगा, जबकि 5% विश्लेषकों ने इससे भी ऊपर का लक्ष्य बताया है। इस तरह जून 2015 के अंत में सेंसेक्स 28,000 या इससे कम होने की संभावना केवल 10% जानकारों ने जतायी है। गौरतलब है कि जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में 33.4% जानकारों ने जून 2015 के लिए 28,000 या इससे कम के लक्ष्य दिये थे। 

निफ्टी के लिए आधे से ज्यादा, 53.7% जानकारों का मानना है कि यह जून 2015 के अंत में 8,501-9,000 के बीच होगा। इसके बाद 26.8% लोगों ने निफ्टी का जून 2015 का लक्ष्य 9,001-9,500 के बीच बताया है, जबकि 9,500 से भी ऊपर पहुँचने की उम्मीद 4.9% लोगों ने जतायी है। इस तरह 85.4% विश्लेषकों को उम्मीद है कि जून 2015 के अंत में निफ्टी 8,500 के ऊपर ही होगा।

अगले छह महीनों में बाजार को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों में बाजार की नजर सबसे ज्यादा टिकी है कच्चे तेल की कीमतों और वैश्विक अर्थव्यवस्था की चाल पर। ताजा सर्वेक्षण में 47.7% जानकारों ने कहा है कि वे कच्चे तेल और विश्व अर्थव्यवस्था को अगले छह महीनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक मानते हैं। वहीं 25% की राय है कि महँगाई दर की स्थिति और ब्याज दरों का अगले छह महीनों में बाजार पर सबसे ज्यादा असर होगा, जबकि 20.5% जानकारों के मुताबिक भारत की विकास दर (जीडीपी) बाजार के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। 

वैश्विक बाजारों पर खास नजर होने के बावजूद जानकारों को यह भरोसा है कि साल 2015 में भारतीय बाजार की स्थिति वैश्विक बाजारों से कमजोर नहीं होगी। सर्वेक्षण में 76.7% विश्लेषकों ने बताया कि भारतीय बाजार की चाल वैश्विक बाजारों से बेहतर ही रहनी चाहिए, जबकि शेष 23.3% की राय में दोनों की चाल एक जैसी रहेगी। किसी ने यह नहीं कहा कि भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों से कमजोर प्रदर्शन करेगा। 

 

साल 2015 के अंत में सेंसेक्स और निफ्टी के जो लक्ष्य सामने आये हैं, उनके आधार पर कहा जा सकता है कि बाजार इस साल 13-15% बढ़त की उम्मीद ले कर ही चल रहा है। साल 2014 में मिली 30% बढ़त के मुकाबले नये साल के लिए यह उम्मीद हल्की लग सकती है, लेकिन लंबी अवधि के औसत के आसपास ही है। या फिर यूँ कह लें कि लोग बीते साल अच्छी बढ़त मिल जाने के बाद वैसी ही बड़ी उछाल दोहराने की उम्मीद नहीं कर रहे, बल्कि अपनी उम्मीदों को संयत रख रहे हैं। 

दिसंबर 2015 के लिए ताजा सर्वेक्षण में सेंसेक्स का औसत लक्ष्य 31,553 आया है, जो दिसंबर 2014 के बंद स्तर से 14.7% की संभावित बढ़त को दिखाता है। सबसे ज्यादा 41.5% जानकारों ने अपने दिसंबर 2015 के लक्ष्य 30,001-32,000 के बीच बताये हैं। इससे कुछ ही कम, 39% जानकारों का अनुमान है कि दिसंबर 2015 में सेंसेक्स 32,001-34,000 के बीच होगा। इससे भी ऊपर के लक्ष्य देने वालों की संख्या 7.3% है। दूसरी ओर 30,000 या इससे नीचे के ही लक्ष्य देने वालों की संख्या मात्र 12.2% है। कुल मिला कर 87.8% जानकारों का विशाल बहुमत यह मान रहा है कि दिसंबर 2015 में सेंसेक्स 30,000 के ऊपर ही होगा। 

निफ्टी के लिए दिसंबर 2015 का औसत लक्ष्य 9,379 का है, यानी साल भर में निफ्टी में 13.2% की संभावित बढ़त दिख रही है। बाजार की उम्मीदें आसमान की ऊँचाइयों में नहीं उड़ रही हैं, तो इसकी वजह हाल के दिनों में वैश्विक बाजारों में मची उथल-पुथल भी है। इसके अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी तेज रफ्तार नहीं पकड़ पायी है। बाजार की नजर इस बात पर भी है कि मोदी सरकार विकास के कार्यक्रम को पूरी शक्ति से आगे बढ़ाने के बदले हाल के दिनों में कई व्यर्थ विवादों में उलझी है। हालाँकि बाजार अब भी नाउम्मीद नहीं हुआ है और मोदी सरकार को पर्याप्त समय देना चाहता है।

सबसे ज्यादा 28.6% विश्लेषकों की राय में दिसंबर 2015 के अंत में निफ्टी 9,501-10,000 के बीच होगा, जबकि 26.2% लोगों ने 9,001-9,500 के बीच के लक्ष्य दिये हैं। वहीं 21.4% जानकारों का अनुमान है कि दिसंबर 2015 में निफ्टी 8,501-9,000 के बीच होगा। निफ्टी साल भर बाद 10,000 से भी ऊपर होने की उम्मीदें जताने वालों की संख्या 16.7% है, जबकि 8,500 या इससे भी कम के लक्ष्य केवल 7.1% जानकारों ने दिये हैं।

पूरे साल के दौरान निफ्टी के शिखर और तलहटी के स्तर क्या होंगे, इसके जवाब में मिले अनुमानों से भी यह दिखता है कि बाजार की उम्मीदें और ऊपर की ओर ही खिसक गयी हैं। अगले 12 महीनों में, यानी साल 2015 के दौरान निफ्टी का शिखर 9,587 पर होने का औसत अनुमान सामने आया है। जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में अगले 12 महीनों के दौरान निफ्टी का शिखर 8,779 पर बनने का औसत अनुमान था, जिससे काफी करीब का स्तर 8,627 निफ्टी दिसंबर 2014 में ही छू चुका है। इस तरह निफ्टी के शिखर का औसत अनुमान इन छह महीनों में 9.20% ऊपर खिसक आया है। 

सबसे ज्यादा 34.1% जानकारों का अनुमान है कि 2015 में निफ्टी का शिखर 9,001-9,500 के बीच बनेगा। इसके बाद 24.4% के मुताबिक यह शिखर 9,501 से 10,000 के बीच होना चाहिए, जबकि 22% जानकारों ने 10,000 के भी ऊपर शिखर बनने की उम्मीद जतायी है।

दूसरी ओर साल 2015 में निफ्टी की तलहटी का औसत अनुमान 7,602 का है, यानी जानकार औसतन इससे नीचे निफ्टी के फिसलने की संभावना नहीं देख रहे। जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में 12 महीनों की तलहटी का औसत अनुमान 7,000 का था, यानी इन छह महीनों के दौरान सबसे बुरी स्थिति के बारे में बाजार का औसत अनुमान 602 अंक या 8.6% ऊपर खिसका है।

आधे से ज्यादा, 53.7% जानकारों ने कहा है कि 2015 में निफ्टी की तलहटी 7,501 से 8,000 के बीच होगी, जबकि 26.8% की राय में यह तलहटी 7,001-7,500 के बीच बननी चाहिए। निफ्टी की साल 2015 की तलहटी 7,000 या इसके भी नीचे बनने की आशंका केवल 7.3% विश्लेषकों को है। 

आने वाले समय में बाजार को भारत की विकास दर में सुधार की उम्मीद तो है, मगर किसी नाटकीय बदलाव की नहीं। सर्वेक्षण में 2014-15 की विकास-दर का औसत अनुमान 5.43% का आया है। दरअसल यह अनुमान पिछले दो सर्वेक्षणों में क्रमशः घटता ही गया है। जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में 2014-15 की विकास दर का औसत अनुमान 5.58% था, जो जुलाई 2014 में घट कर 5.5% रह गया था। इस बार यह थोड़ा और घट गया। 

अगले कारोबारी साल यानी 2015-16 के बारे में ताजा सर्वेक्षण का औसत अनुमान है कि विकास दर 6.11% रहेगी। यहाँ भी छह महीने पहले की तुलना में अनुमान थोड़ा नीचे ही आये हैं। जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में 2015-16 में विकास दर 6.3% रहने का औसत अनुमान सामने आया था। 

साल 2015 के लिए सबसे पसंदीदा क्षेत्रों की बात करें तो विश्लेषकों की काफी बड़ी संख्या (लगभग दो तिहाई) ने बैंकिंग क्षेत्र को तेज प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में चुना है। इसके बाद प्राथमिकता सूची में ऑटो, कैपिटल गुड्स, सीमेंट और बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रा) के नाम आये हैं। आईटी क्षेत्र ठीक-ठाक संख्या में विश्लेषकों को पसंद है, लेकिन दूसरी ओर इसका प्रदर्शन धीमा रहने की आशंका भी कई विश्लेषकों ने जतायी है। वैसी ही स्थिति दवा (फार्मा) क्षेत्र की भी है। दूसरी ओर रियल एस्टेट, धातु (मेटल) और तेल-गैस को काफी जानकारों ने साल 2015 के कमजोर क्षेत्रों में गिना है। इसके अलावा टेलीकॉम और एफएमसीजी क्षेत्रों से भी विश्लेषकों को अच्छी उम्मीदें नहीं हैं। 

अब बात सेंसेक्स के 50,000 और 1,00,000 जैसी बड़ी मंजिलों को छूने की। वैसे तो भारत का वारेन बफेट कहे जाने वाले चर्चित निवेशक राकेश झुनझुनवाला हाल में सवा लाख का निफ्टी हो जाने की भी चर्चा कर चुके हैं। लेकिन फिलहाल हम सर्वेक्षण के नतीजों पर नजर डालें तो आधे से कुछ ज्यादा (51.2%) जानकारों ने साल 2020 तक सेंसेक्स 50,000 का हो जाने का अनुमान जताया है। पिछले सर्वेक्षण में ऐसा मानने वालों की संख्या 48% थी। वहीं साल 2025 तक सेंसेक्स 50,000 छू सकेगा, ऐसा मानने वालों की संख्या पिछले सर्वेक्षण के 18% से बढ़ कर इस बार 20.9% हो गयी है। यानी कह सकते हैं कि पहले से कुछ ज्यादा लोगों को 50,000 का स्तर थोड़ा करीब लगने लगा है। 

सेंसेक्स के लिए 100,000 के मुकाम को भी पहले से ज्यादा लोग हकीकत के करीब मानने लगे हैं। इस सर्वेक्षण में 2.4% की राय में यह मुकाम साल 2020 तक ही हासिल हो जायेगा। छह महीने पहले किसी ने ऐसा नहीं माना था। वहीं 26.2% जानकारों ने कहा कि सेंसेक्स इस स्तर को साल 2025 तक हासिल कर सकता है। जुलाई 2014 के सर्वेक्षण में ऐसा मानने वाले 20% थे। ताजा सर्वेक्षण के अनुसार 21.4% की राय में सेंसेक्स को ऐसा करने में साल 2030 तक का समय लग जायेगा, जबकि पिछले सर्वेक्षण में 2030 तक का समय 16% जानकारों ने बताया था। 

इस तरह मोटे तौर पर अब 50% विश्लेषक मान रहे हैं कि अगले लगभग डेढ़ दशक में तो सेंसेक्स एक लाख का हो ही जायेगा। पिछले सर्वेक्षण में 52% की राय थी कि सेंसेक्स के 1,00,000 पर पहुँचने के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। इस बार यह संख्या घट कर 38.1% रह गयी है। यानी निफ्टी सवा लाख का हो या न हो, पर एक लाख का सेंसेक्स हो जाने के बारे में बाजार को भरोसा होने लगा है। (शेयर मंथन, 13 जनवरी 2015)

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