सरकार और सेबी एफएंडओ ट्रे़डिंग पर सख्ती का इरादा बना चुके हैं। वित्त मंत्री पहले ही जहाँ बजट में सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) बढ़ा की घोषणा कर चुकी है, वहीं अब बाजार नियामक सेबी ने बाजार विशेषज्ञों के साथ चर्चा के बाद खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए 7 सुझाव तैयार किये हैं। दरअसल, सेबी चाहती है कि बाजार में लोग निवेश करें लेकिन उसे सट्टेबाजी या फिर तेजी से पैसा बनाने का जरिया न मानें। सेबी के मुताबिक बाजार में 90% लोग एफएंडओ में पैसा बनाते नहीं बल्कि गँवाते हैं।
सेबी को इस बात की भी चिंता है कि बाजार में कम उम्र के युवा पैसे लगा रहे हैं। वे मोटे प्रतिफल के लालच में अपने घर की जमा पूँजी तक एफएंडओ में लगा रहे हैं। सेबी का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2024 में 92.5 लाख खुदरा व्यापारियों और व्यक्तिगत फर्मों को 51,689 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की स्थिरता बढ़ाने के लिए सेबी ने 7 कदम उठाने का सुझाव दिया है। इनमें वायदा और ऑप्शन के लिए न्यूनतम कॉन्ट्रैक्ट साइज को 20 लाख रुपये करने और वीकली ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स को सीमित करना शामिल है।
ऑप्शन स्ट्राइक की व्यवस्था में बदलाव
सेबी ने ऑप्शन के स्ट्राइक मूल्य तय करने की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है। बाजार नियामक के मुताबिक ऑप्शन के स्ट्राइक कि मियाद मौजूदा इंडेक्स के भाव (लगभग 4%) के करीब एक ही होनी चाहिए। वहीं, जैसे-जैसे स्ट्राइक का भाव मौजूदा कीमत से दूर जाती है (लगभग 4% से 8% तक) तो मियाद भी उसी के मुताबिक बढ़ जानी चाहिए।
ऑप्शन प्रीमियम की अग्रिम वसूली
सेबी ने कारोबारियों को एकदिनी सौदे में अधिक जोखिम से बचाने के लिए और बाजार में एक स्तर से ज्यादा पोजिशन बनाने से रोकने के लिए ऑप्शन खरीदते समय प्रीमियम की पूरी रकम एक साथ लेने का प्रस्ताव दिया है। इससे ऑप्शन खरीदार को बाजार में ज्यादा रिटर्न की लालच में अधिक जोखिम उठाने से बचाना सुनिश्चित हो सकेगा।
कैलेंडर स्प्रेड पर एक्सपायरी डे की छूट खत्म करना
सामान्य दिनों की तुलना में निप्टान के दिन पर ज्यादा कारोबार होने और उस दिन जोखिम ज्यादा होने के कारण, सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि एक ही दिन में एक्सपायरी होने वाले कैलेंडर स्प्रेड पोजीशन पर मार्जिन में छूट नहीं दी जाएगी। कैलेंडर स्प्रेड बाजार में ट्रेडिंग की एक रणनीति है जिसमें एक ही शेयर या इंडेक्स के दो अलग-अलग एक्सपायरी डेट वाले ऑप्शन खरीदे या बेचे जाते हैं।
एकदिनी सौदों में पोजिशन सीमा पर नजर रखना
सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि इंडेक्स डेरिवेटिव्स में किसी एक व्यक्ति या संस्था के पास कितनी पोजीशन हो सकती है, इस पर भी पूरे दिन निगरानी रखी जाएगी। पहले यह सिर्फ दिन के अंत में ही देखा जाता था। इसके लिए जरूरी तकनीकी बदलावों को देखते हुए इसे पूरी तरह लागू करने में कुछ समय लग सकता है। इसलिए, पहले कुछ समय के लिए इस पर नजर रखने का छोटा तरीका अपनाया जाएगा, और फिर धीरे-धीरे इसे पूरी तरह लागू किया जाएगा।
कॉन्ट्रैक्ट का न्यूनतम आकार
सेबी ने वायदा और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की न्यूनतम कीमत बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। पहले ये 5 से 10 लाख रुपये थी, जिसे बढ़ाकर पहले चरण में 15 से 20 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। इसके छह महीने बाद इसे और बढ़ाकर 20 से 30 लाख रुपये किया जा सकता है। इससे छोटे निवेशकों को अधिक जोखिम वाले उत्पाद से दूर रखने में मदद मिलेगी।
वीकली ऑप्शन में बदलाव का प्रस्ताव
हालाँकि अभी हफ्ते के पाँचवें दिन कॉन्ट्रैक्ट का साप्ताहिक निप्टान होता है। सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि वीकली ऑप्शन सिर्फ एक सूचकांक पर ही उपलब्ध होने चाहिए। इसका मतलब ये हुआ कि हर हफ्ते सिर्फ एक सूचकांक के लिए वीकली ऑप्शन उपलब्ध होंगे, बाकी सूचकांक पर नहीं।
कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के समय मार्जिन बढ़ाने का प्रस्ताव
कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के करीब ऑप्शन में बहुत ज्यादा जोखिम होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑप्शन की कीमत तेजी से बदल सकती है। इस वजह से सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के समय एक्सट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम) को 3 से 5% बढ़ा दिया जाए। ईएलएम एक तरह की सुरक्षा रकम होती है जो ब्रोकर को रखनी पड़ती है। अगर ये रकम बढ़ती है ब्रोकर के पास ज्यादा पैसा होगा और निवेशकों को भी सुरक्षा मिलेगी।
जरूरत क्यों पड़ी?
वायदा बाजार शेयर की सही कीमत का पता लगाने में मदद करता है। इसे जोखिम को संभालने में मदद मिलती है और बाजार में तरलता बढ़ती है। इससे बाजार में लोगों का रुझान बढ़ता है। यहाँ तक बाजार नियामक को कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन अब शेयर बाजार में कम उम्र के कारोबारियों की दिलचस्पी बढ़ने लगी। ऐसे कारोबारी ज्यादा प्रतिफल की लालच में अपनी जमा पूँजी में लगा देते हैं और अनुभवहीनता के कारण पैसे गँवा देते हैं। दुनिया भर के एक्सचेंज में होने वाले वायदा और ऑप्शन कारोबार का 30 से 50% हिस्सा भारतीय बाजार का है। भारतीय शेयर बाजार निवेशकों के लिए एक आकर्षक केंद्र बन गये हैं। लेकिन सेबी का ही एक सर्वे कहता है कि एफएंडओ के 89% निवेशकों को नुकसान हुआ है। वित्त वर्ष 2024 में खुदरा निवेशकों और प्रॉप डेस्क को इंडेक्स डेरिवेटिव्स में 51,689 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह इसी वर्ष सभी म्यूचुअल फंडों की ग्रोथ और इक्विटी उन्मुख स्कीमों में आए कुल निवेश का 32% से ज्यादा है। इससे पहले इसी महीने, आर्थिक सर्वेक्षण में भी वायदा और ऑप्शन कारोबार को लेकर चेतावनी दी गई थी और इसे जुए के बराबर बताया गया था। इसमें कहा गया था कि भारत जैसे विकासशील देश में सट्टेबाजी वाले कारोबार की कोई जगह नहीं है।
सरकार और सेबी की चिंता
पिछले हफ्ते पेश केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एसटीटी को बढ़ाकर वायदा कारोबार पर 0.02% और ऑप्शन कारोबार पर 0.1% करने की घोषणा की है। सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने भी हाल ही में चिंता जताई थी कि घर की बचत अब पूँजी निर्माण में नहीं जा रही है, बल्कि सट्टेबाजी में लग रही है। उन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि अब यह इतने बड़े स्तर पर पहुँच गया है कि हमें लगता है कि व्यक्तिगत निवेशक की सुरक्षा का छोटा लक्ष्य बदलकर एक बड़े मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है।
(शेयर मंथन, 31 जुलाई 2024)