भारतीय शेयर बाजार में बीएसई के बाजार पूँजीकरण (मार्केट कैपिटलाइजेशन) ने 21 मई 2024 को पहली बार 5 लाख करोड़ (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर का आँकड़ा छू लिया। दो दिन बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की बाजार पूँजी भी इस ऐतिहासिक स्तर पर पहुँच गयी।
यहाँ बड़ी बात यह है कि बाजार ने इस मुकाम को तब हासिल किया है, जब लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। लोग अपना मत ईवीएम में दर्ज करवा रहे हैं और एफआईआई भारत के बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं।
एनएसई के अनुसार गुरुवार, 23 मई 2024 को इस एक्सचेंज में सूचीबद्ध (लिस्टेड) सभी शेयरों की कुल बाजार पूँजी (मार्केट कैप) 416.57 लाख करोड़ रुपये या 5 लाख करोड़ डॉलर के ऊपर चली गयी। एनएसई ने यह उपलब्धि ऐसे दिन प्राप्त की, जब इसके प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 ने 22,993 का, और निफ्टी 500 सूचकांक ने 21,505 के अपने नये उच्चतम स्तर छुए।
मंगलवार, 21 मई 2024 के कारोबार में बीएसई में सूचीबद्ध शेयरों की कुल बाजार पूँजी 414.75 लाख करोड़ रुपये (5 लाख करोड़ डॉलर) के स्तर को पार कर गयी। खास बात यह है कि इस 5 लाख करोड़ डॉलर में से 1 लाख करोड़ डॉलर का योगदान केवल बीते 6 महीनों में हुआ है। दलाल स्ट्रीट ने 29 नवंबर 2023 को 4 ट्रिलियन डॉलर का मुकाम छुआ था।
इस साल की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार की बाजार पूँजी 4.14 लाख करोड़ डॉलर की थी। बीएसई की कुल बाजार पूँजी 28 मई 2007 को पहली बार 1 लाख करोड़ डॉलर की हुई थी। इस तरह बीएसई की बाजार पूँजी को 1 लाख करोड़ डॉलर से 5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुँचने में 17 साल लगे।
एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों की बाजार पूँजी को 2 लाख करोड़ डॉलर से 3 लाख करोड़ डॉलर तक पहुँचने में जुलाई 2017 से मई 2021 तक लगभग 46 महीने लगे। वहाँ से लगभग 30 महीने बाद दिसंबर 2023 में इसने 4 लाख करोड़ डॉलर का स्तर छुआ, जबकि वहाँ से अगले 1 लाख करोड़ डॉलर जुड़ने में केवल 6 महीने लगे।
एनएसई की ओर से उपलब्ध जानकारी के अनुसार बाजार पूँजी में वृद्धि केवल शीर्ष कंपनियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्यापक रूप से पूरे बाजार में देखी गयी है। निफ्टी 100 सूचकांक का एनएसई की कुल बाजार पूँजी में इस समय 61% हिस्सा है, जबकि अप्रैल 2014 में इसके घटकों का हिस्सा कुल बाजार पूँजी का 74.9% था।
निफ्टी 50 सूचकांक ने पिछले 10 वर्षों में 13.4% सीएजीआर की दर से प्रतिफल (रिटर्न) दिया है। इसी अवधि में घरेलू म्यूचुअल फंडों की इक्विटी और ऋण मिला कर कुल प्रबंधन अधीन संपत्ति (एयूएम) अप्रैल 2014 के अंत में 9.45 लाख करोड़ रुपये से 506% बढ़ कर अप्रैल 2024 के अंत में 57.26 लाख करोड़ रुपये हो गयी। इक्विटी और ऋण दोनों मिला कर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की कुल प्रबंधन अधीन संपत्ति इन 10 वर्षों में 16.1 लाख करोड़ रुपये से 345% बढ़ कर अप्रैल 2024 के अंत में 71.6 लाख करोड़ रुपये पर पहुँच गयी।
इसके साथ ही भारत अब अमेरिका, चीन, जापान और हांग कांग के बाद पाँचवाँ ऐसा देश बन गया है, जिसके शेयर बाजार की कुल बाजार पूँजी 5 लाख करोड़ डॉलर के ऊपर है। हालाँकि अमेरिका 55 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की बाजार पूँजी के साथ अन्य देशों से काफी आगे है। दूसरे स्थान पर मौजूद चीन की बाजार पूँजी 9.4 लाख करोड़ डॉलर की है। वहीं जापान 6.4 लाख करोड़ और हांग कांग 5.5 लाख करोड़ डॉलर की बाजार पूँजी पर हैं।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) मई में अब तक 35,600 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम भारतीय बाजार से निकाल चुके हैं। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) इसी दौरान 33,800 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बाजार में लगा चुके हैं। इन बदलते हालात से एक बात साफ हो रही है कि भारतीय शेयर बाजार अब विदेशी बैसाखियों के सहारे नहीं, बल्कि अपने दम पर खड़ा हो रहा है। (शेयर मंथन, 23 मई 2024)
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