अदाणी-हिंडेनबर्ग मामले पर सुनवाई करते हुए आज सर्वोच्च न्यायालय ने एक विशेषज्ञ समिति बनाने की बात कही है। इस समिति के सदस्यों की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय ही करेगा।
सरकार की ओर से आज न्यायालय में समिति के सदस्य बनाने के लिए कुछ नामों के सुझाव सीलबंद लिफाफे में रखे गये, जिन्हें न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया। न्यायालय ने कहा कि सरकार के सुझाये नामों की समिति बनाने पर यह सरकार की ओर से गठित समिति हो जायेगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में पूरी पारदर्शिता चाहता है। इस विवाद में दखल की माँग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को समिति के गठन पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, यानी इस पर अगली किसी तारीख में आदेश जारी होगा।
इस मामले में एक याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय से माँग रखी है कि बैंकों द्वारा दिये जा रहे ऋणों के बदले गिरवी रखे गये शेयरों का उचित मूल्यांकन किया जाये और अडाणी समूह की कंपनियों का ऑडिट हो। अधिवक्ता एमएल शर्मा की एक अन्य याचिका में माँग की गयी है कि हिंडेनबर्ग के खिलाफ कार्रवाई हो।
एक तीसरे याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने किया। उन्होंने माँग रखी कि अडाणी समूह द्वारा शेयर बाजार के नियमों के कथित उल्लंघनों को बताने वाली हिंडेनबर्ग रिपोर्ट की जाँच के लिए सर्वोच्च न्यायालय एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) नियुक्त करे। इन याचिकाओं की सुनवाई के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने आज यह भी कहा कि इसमें नियामकीय विफलता हुई है, यह पहले से मान कर चलना सही नहीं होगा।
अरबपति गौतम अदाणी के नियंत्रण वाले अदाणी समूह की कंपनियों पर हिंडेनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट जारी की थी, जिसके बाद से इस समूह की सात कंपनियों के शेयरों के बाजार मूल्य में 100 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट देखी गयी। हिंडेनबर्ग रिपोर्ट में टैक्स हेवन कहे जाने वाले विदेशी ठिकानों का अनुचित उपयोग करके इस समूह के शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था, पर अदाणी समूह ने इन आरोपों से इन्कार किया है और उल्टे हिंडेनबर्ग पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं। (शेयर मंथन, 17 फरवरी 2023)
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