मजबूत फंडामेंटल के कारण मेंथा ऑयल वायदा (सितंबर) की कीमतों में 1,635 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ तेजी का रुझान जारी रहने की संभावना है।
बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद से किसानों और स्टॉकस्टिों द्वारा अपना स्टॉक रोक कर रखे जाने से भी कीमतों को मदद मिल रही है। ऐसा अनुमान है कि किसानों के पास लगभग 40% स्टॉक बचा हुआ है, जबकि निर्यात माँग काफी अधिक है और रुपया यदि कमजोर रहता है तो माँग में बढ़ोतरी जारी रह सकती है।
अधिक उत्पादन अनुमान के बाद उच्च स्तर पर बिकवाली के कारण ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 4,150 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ तेजी का रुझान रहने की संभावना है। राजस्थान के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में अचानक सूखे मौसम के कारण उत्पादकता में कमी की आशंका के बाद निचले स्तर पर खरीदारी होने से हाजिर बाजारों में ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों में गिरावट हुई है। ग्वारसीड उत्पादन क्षेत्रों में मौजूदा मॉनसून के दौरान बारिश की कमी बढ़ कर 10% हो गयी है। 2014 के बाद पहली बार राजस्थान में सामान्य से कम बारिश हुई है।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के 3,900-4,000 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। इंदौर मंडी में अधिक कीमतों पर कमजोर माँग के कारण चना की कीमतों में नरमी का रुझान है। प्रमुख राज्यों में नाफेड द्वारा दालों की बिकवाली और बाजारों में सुस्त कारोबार के कारण देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में चने की कीमतों में गिरावट हुई है। मुंबई और मुंद्रा बंदरगाहों पर ऑस्ट्रेलियाई मूल के चना की कीमतें 25-50 रुपये की गिरावट के साथ 3,950-3,975 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम हो गयी (शेयर मंथन, 19 सितंबर 2018)
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