मिले-जुले सेंटीमेंट के कारण हल्दी वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 6,450-6,660 रुपये के सीमित दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
अधिक आवक के कारण स्टॉकिस्टों द्वारा खरीदारी धीमी हो गयी है। कारोबारियों के अनुसार त्योहारी सीजन के अंत के बाद माँग कम हुई है। इसके विपरीत चक्रवातीय तूफान गाजा से तमिलनाडु में हल्दी की फसल प्रभावित हो सकती है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में कम बारिश के कारण इस वर्ष उत्पादकता कम हो सकती है। महाराष्ट्र में सूखे जैसी स्थिति के कारण फसल को नुकसान अधिक हो सकता है। यदि अनुमान के अनुकूल उत्पादन में गिरावट होती है, तो छोटी अवधि में कीमतों में तेजी से इंकार नही किया जा सकता है। जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 19,400-19,300 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती है। इसलिये इस हफ्ते कीमतों में बढ़ोतरी के बाद बिकवाली करने की जरूरत है। इस वर्ष के जीरे के उत्पादन क्षेत्रों में पिछले अनुमान की तुलना में बढ़ोतरी हो सकती है। गुजरात में जीरे की बुआई और उत्पादकता में बढ़ोतरी होने की संभावना है, क्योंकि राज्य सरकार ने कहा है कि बनासकंठा नहर से सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध कराया जायेगा।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 6,735 रुपये के सहारा के साथ बढ़त जारी रह सकती हैं। सूत्रों के अनुसार राजस्थान और गुजरात में सूखे की स्थिति के कारण इस वर्ष बुआई में कमी हो सकती है। गुजरात में बुआई काफी पिछड़ गयी है। जूनागढ़ में धनिया की बुआई केवल 300 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले समान अवधि में 7,600 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मध्य प्रदेश और राजस्थान धनिया की बुआई अभी शुरू नही हुई है। (शेयर मंथन, 19 नवंबर 2018)
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 6,735 रुपये के सहारा के साथ बढ़त जारी रह सकती हैं। सूत्रों के अनुसार राजस्थान और गुजरात में सूखे की स्थिति के कारण इस वर्ष बुआई में कमी हो सकती है। गुजरात में बुआई काफी पिछड़ गयी है। जूनागढ़ में धनिया की बुआई केवल 300 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले समान अवधि में 7,600 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। मध्य प्रदेश और राजस्थान धनिया की बुआई अभी शुरू नही हुई है। (शेयर मंथन, 19 नवंबर 2018)
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