कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों को 22,100 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
इसकी कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। आवक में बढ़ोतरी और धागा और कपड़ा उद्योग की ओर से कम माँग के कारण मिलों की ओर से कम खरीदारी होने से दक्षिण और मध्य भारत में कपास की कीमतों में गिरावट हुई है। पिछले कुछ दिनों से देश के बाजारों में कपास की आवक में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन खरीदार अधिक कीमतों पर खरीदारी करना नही चाहते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मजबूत होने से आइसीई में कपास की कीमतों में गिरावट हुई हैं। लेकिन धन्यवाद ज्ञापन दिवस के कारण आज अमेरिकी बाजार बंद है। कल यूएसडीए द्वारा निर्यात के आँकड़ें जारी किये जायेगें।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतें यदि 4,405 रुपये के स्तर से नीचे टूटती है तो 4,300 रुपये तक गिरावट हो सकती है। हाजिर बाजारों में ग्वारसीड की आवक अच्छी हो रही है, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के कारण ग्वारगम की माँग भी कम हुई है और खरीदार सतर्कता बरत रहे हैं।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,675-4,750 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। यदि सरकार मटर के आयात पर प्रतिबंध को मार्च 2019 तक बढ़ा देती है तो चना की कीमतों को मदद मिल सकती है। मटर के आयात पर मौजूदा प्रतिबंध 31 दिसंबर तक ही है। मौजूदा रबी सीजन में चना की बुआई में कमी की संभावना और मिलों द्वारा अधिक खरीदारी के कारण देश के बाजारों में चनों की कीमतो में बढ़ोतरी हो रही है। (शेयर मंथन, 22 नवंबर 2018)
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