कॉटन वायदा (दिसंबर) की कीमतों में नरमी का रुझान बरकरार रहने की संभावना है।
यदि कीमतें साप्ताहिक सहारा स्तर (21,790 रुपये) से नीचे टूटती हैं, तो 21,600-21,500 रुपये तक गिरावट हो सकती है। कुल मिलाकर नरमी का सेंटीमेंट है क्योंकि कमजोर वैश्विक रुझानों के बीच निर्यातकों और मिलों की ओर से कम खरीदारी के कारण दक्षिण और मध्य भारत के प्रमुख हाजिर बाजारों में कपास की कीमतों में गिरावट हो रही है। धागों और कपड़ों की कम बिक्री के संकेत और मिलों द्वारा इंतजार किये जाने से भी नरमी का रुझान है। इसके अतिरिक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था, खासतौर से विकासशील देशों, की धुँधली तस्वीर के कारण कपास के धागों और कपड़ों का निर्यात भी कम होने की आशंका है।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में नरमी बरकरार रहने की संभावना है और शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) को 4,515-4,535 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतों के 9,305 रुपये से नीचे ही रहने की संभावना है। पेराई के लिए ग्वारसीड की माँग काफी कम हो गयी है क्योंकि रुपये के मजबूत होने के बीच ग्वारगम का निर्यात कम होने के मुकाबले ग्वारसीड का पर्याप्त स्टॉक है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण भारत के व्यापार घाटे में कमी के बाद रूपया मजबूत होकर एक महीने के उच्च स्तर पर पहुँच गया है। आगामी दिनों में भी डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने की संभावना है क्योंकि सरकार को उम्मीद है कि इस वर्ष के अंत तक चालू खाते का घाटा जीडीपी का 2.2-2.3% रह सकता है।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 4,550 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ तेजी बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि मौजूदा रबी सीजन में पिछले सीजन की तुलना में अभी तक कम बुआई के कारण सेंटीमेंट बेहतर है और बाजार को उम्मीद है कि पीले मटर के आयात पर प्रतिबंध को मार्च 2019 तक बढ़ा दिया जायेगा। (शेयर मंथन, 26 नवंबर 2018)
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