कपास वायदा (जुलाई) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ कारोबार कर सकती है, क्योंकि कीमतें 22,000 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं।
घरेलू उत्पादन में कमी की संभावना और विश्व बाजार में कीमतों में कमी के बाद आयातक देशों द्वारा अधिक खरीदारी के कारण कीमतों को मदद मिल रही है। ब्राजील और चीन में अधिक उत्पादन के कारण विश्व कपास बाजार में कीमतों के तीन वर्षो के निचले स्तर पर पहुँच गयी थी। घरेलू और विश्व बाजार में कपास की कीमतों में अंत तक के कारण घरेलू बाजार में इस वर्ष आयात में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
आपूर्ति में कमी के कारण मक्का वायदा (अगस्त) की कीमतों में तेजी का रुझान जारी रहने की संभावना है और कीमतों को 2,140 रुपये पर सहारा रह सकता है। वर्तमान समय में निजामाबाद बाजार में मक्के की कीमतें 2,200-2,250 रुपये के दायरे में है। सरकार ने 2019-20 (अप्रैल-मार्च) में 4,00,000 टन अतिरिक्त मक्का आयात करने की अनुमति दी है, लेकिन इससे कीमतों की तेजी पर रोक लगने की संभावना नहीं है, क्योंकि यूक्रेन की गैर-जीन संवर्धित मक्का की ढुलाई रहित कीमत 195-200 रुपये डॉलर प्रति टन है, जो भारतीय आयातकों के लिए महँगा है।
कैस्टरसीड वायदा (अगस्त) की कीमतों को 5,545 रुपये के स्तर पर सहारा बना रह सकता है और कीमतों की गिरावट पर रोक लगी रह सकती हैं। गुजरात के हाजिर बाजारों में आवक में कमी और घरेलू स्टॉकिस्टों एवं निर्यातकों की ओर से अधिक माँग के कारण कीमतों में तेजी का रुझान है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून के दौरान भारत ने जून महीने में 1,53,596 टन कैस्टरमील का निर्यात किया है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 41,017 टन निर्यात किया था। (शेयर मंथन, 18 जुलाई 2019)
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