कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 18,300-18,500 रुपये के स्तर पर पहुँच जाने की संभावना है जबकि कीमतों को 18,000 रुपये के पास सहारा रह सकता है।
बाजार स्रोतों से संकेत मिलता है कि मिलें वर्तमान में 75-80 प्रतिशत की क्षमता पर चल रही हैं, जिसके अगले दो महीनों में बेहतर होने की संभावना है। उड़द और मूंग की फसलों को नुकसान की खबरों के बीच चना वायदा की कीमतें पिछले कई हफ्तों से राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर तीन वर्षों की एक नयी ऊँचाई पर कारोबार कर रही है। दूसरे, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और हरियाणा से ग्रीष्मकालीन-बोई गयी दाल की खरीद की योजना को मंजूरी दी है। यह देखते हुये, अक्टूबर कॉन्टैंक्ट की कीमतें आने वाले दिनों में 5,700-5,900 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती हैं।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 3,950-4,150 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। इस सीजन में आपूर्ति में कुछ कमी आ सकती है और इससे कीमतों को समर्थन मिलेगा। किसानों ने मुख्य रूप से खरीफ सीजन के दौरान ग्वारगम उत्पादन के स्थान पर कपास, बाजरा और धन की खेती को प्राथमिकता दी है क्योंकि कीमतें काफी कम रही हैं। इस बार श्रीगंगानगर जिले में किसान विभिन्न कारणों से ग्वारगम की फसल के स्थान पर मूंग को प्राथमिकता दे रहे हैं। सबसे पहले, उन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (दलहन) के तहत सब्सिडी के रूप में सरकार से वित्तीय सहायता मिल रही है और दूसरा, मूंग की फसल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और आने वाली फसलों के लिए फायदेमंद साबित होती है।
ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 6,030 रुपये के पास सहारा लेते हुये 6,500 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। वर्तमान परिदृश्य में, मिलें अधिक नमी वाले नये ग्वारसीड को पसंद कर रहे हैं क्योंकि नये बीज से बने पाउडर में चिपचिपाहट अधिक होगी। अधिक चिपचिपाहट का मतलब ग्वारगम पाउडर की अधिक कीमत मिलना है। (शेयर मंथन, 05 अक्टूबर 2020)
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