कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतों के 20,500-20,700 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार किये जाने की उम्मीद है।
घरेलू बाजारों में कम होती माँग और गिरती कीमतों के बीच, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कपास और धगों के लिए निर्यात प्रोत्साहन की माँग की है ताकि सरकार पर अतिरिक्त खरीद के बोझ को रोका जा सके। भले ही हमारा कपास अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे सस्ता है, लेकिन निर्यात उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रहा है। भारतीय कपास दुनिया का सबसे सस्ता कपास है और इसलिए, देश के निर्यात प्रदर्शन में सुधर की बहुत गुंजाइश है। कोरोना वायरस के दूरगामी प्रभाव ने कपास के कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है और कपास और कपड़ा मूल्य श्रृंखला के हर स्तर पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, 24 दिसंबर को समाप्त हुये सप्ताह के लिए अमेरिकी कपास की साप्ताहिक शुद्ध निर्यात बिक्री 287,900 रनिंग बेल हुई है जो पिछले सप्ताह से 30 प्रतिशत कम और 4 सप्ताह के औसत से 24 प्रतिशत कम थी।
चना वायदा की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,400-4,500 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नॉफेड) मूल्य स्थिरीकरण योजना के तहत अपने 1.50 मिलियन टन के रबी-2020 के चना स्टॉक को बाजार में बेचने में व्यस्त है। दूसरी बात यह है कि अरहर दाल की फसल कटाई से भी कीमतों पर भी असर पड़ने की उम्मीद है।
ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतें 3,850-3,950 रुपये के काफी कम दायरे में कारोबार कर सकती हैं, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतें 5,900-6,050 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती हैं। कम आवक और ग्वारगम की बेहतर माँग की संभावनाएं मिलों को निचले स्तर की खरीद के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इससे पहले, इस महीने के अंत तक अपने किसान क्रेडिट कार्ड का बकाया भुगतान करने के लिए किसान अधिक ग्वारसीड ला रहे थे। अब दिसम्बर माह समाप्त होने वाला है इसलिए किसान अपनी नकदी फसल बेचना कम कर देंगे। (शेयर मंथन, 01 जनवरी 2021)
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