हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी का रुझान है और कीमतों में गिरावट के बाद 7,200-7,300 रुपये के लक्ष्य के लिए 7,000 रुपये के पास खरीदारी की जा सकती है।
आम तौर पर माँग 15 जनवरी के बाद बढ़ती है और कीमतों में कई सप्ताह तक वृद्धि दर्ज की जा सकती है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में 25 प्रतिशत फसल नुकसान की आशंका से कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। यहाँ तक कि महाराष्ट्र के सांगली जिले में भी फसल प्रभावित हुई है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतें 13,100-13,200 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। मौसम की स्थिति सहायक बनी हुई है और व्यापारी अगले महीने से थोक बाजारों में नयी आवक से पहले बड़ी मात्रा में खरीदारी करने से बच रहे हैं। गुजरात में रबी सीजन 2020-21 में 25 जनवरी तक जीरा की कुल बुआई 4,69,030 हेक्टेयर में हुई है जबकि 2019-20 के दौरान 4,88,207 हेक्टेयर और पिछले पाँच साल में औसत 4,06,141 हेक्टेयर में बुआई हुई थी। ऊंझा मंडी में, रफ वेराइटी के जीरे की कीमतें 2,045-2,115 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रही है जबकि एनसीडीईएक्स क्वालिटी के जीरे की कीमतें 2,165-2,265 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रही है। बॉम्बे बोल्ड जीरे की कीमतें 2,440-2,530 रुपये प्रति 20 किलोग्राम और सर्वोत्तम गुणवत्ता के जीरे की कीमत 2,365-2,415 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रही है।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 6,320-6,400 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। नयी फसल की माँग है और राजस्थान की मंडियों के साथ-साथ मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में नयी फसल की आवक में तेजी के दबाव के बावजूद, नयी फसल का कारोबार 4,000-6,000 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में हो रहा है। नयी फसल की माँग खाड़ी देशों के साथ स्थानीय खरीदारों की ओर से भी हो रही है। वास्तव में, कुछ सौदे 5,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुये हैं जबकि खरीद तब होगी जब नमी की मात्रा घटकर 8% रह जायेगी। (शेयर मंथन, 09 फरवरी 2021)
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