सोयाबीन वायदा (मई) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 7,300-8,000 रुपये के व्यापक दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
यह अनुमान है कि पारंपरिक खरीदारों की ओर माँग के कारण अप्रैल में भारत का सोयामील निर्यात दोगुना होकर लगभग 80,000 टन से अधिक हो सकता है। मौजूदा माह में अब तक लगभग 60,000 टन सोयाबीन का निर्यात किया जा चुका है। यूरोपीय और दक्षिण पूर्व एशियाई देश प्रमुख रूप से भारत से खरीद रहे हैं। सोयाबीन की सुस्त आवक के बीच मील की मजबूत निर्यात माँग के कारण कीमतें उच्चतम स्तरों पर पहुँच गयी हैं। सोयामील का निर्यात मूल्य अक्टूबर 2020 के 470 डॉलर प्रति टन से बढ़कर वर्तमान में 600 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुँच गया है।
सरसों वायदा (मई) की कीमतों में तेजी जारी रह सकती है और हाजिर बाजारों से सकारात्मक संकेत मिलने के बाद हर गिरावट पर खरीदारी देखने को मिलेगी। एक साल पहले के समान अवधि की तुलना में आवक सुस्त और कम हो गयी है, क्योंकि किसान गेहूँ और जौ जैसी फसलों की कटाई में व्यस्त हैं। वे सरसों की कीमतों में तेजी को भी देख रहे हैं और कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। बाजार में सरसों तेल की बढ़ती माँग, वैश्विक स्तर पर कीमतों के रुझान और कम आवक के कारण सरसों की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।
सोया तेल वायदा (मई) की कीमतों को 1,360 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की उम्मीद है, जबकि सीपीओ वायदा (मई) की कीमतों को 1,125 रुपये के पास सहारा रहने की संभावना है और वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों में तेजी के रुझान के कारण बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। सीबीओटी वायदा कीमतें जुलाई 2008 के बाद से उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी है क्योंकि अमेरिका की बैलेंस शीट कम होती रही और देश के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी उत्सर्जन को आध करने की योजना की घोषणा की। शून्य उत्सर्जन की खोज में प्रमुखता प्राप्त करने वाला एक संभावित समाधान जैव ईंधन है जो अक्षय संसाधनों से प्राप्त होता है। (शेयर मंथन, 26 अप्रैल 2021)
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