एमसीएक्स पर कॉटन वायदा (जून) की कीमतों को 24,100 रुपये के पास रुकावट का सामना करना पड़ सकता है और कीमतों की बढ़त पर सीमित रह सकती है।
उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बुवाई चल रही है। कुल मिलाकर, भारत में बाजार वर्ष 2021-22 में कपास का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 4% बढ़कर 37.8 मिलियन बेल होने का अनुमान है, जिसकी औसत उपज 498 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो सामान्य मॉनसून की उम्मीद पर पिछले वर्ष की तुलना में 5% अधिक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, कारोबारी अमेरिकी उत्पादन अनुमानों पर स्पष्टता के लिए 30 जून को जारी होने वाले रकबा रिपोर्ट पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
ग्वारसीड वायदा (जुलाई) की कीमतों के 4,125 रुपये से नीचे ही रहने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जुलाई) की कीमतों को 6,390 रुपये के स्तर पर अड़चन रहने की संभावना है। हाजिर बाजारों में इन काउंटरों में गिरावट बढ़ रही है क्योंकि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में हुई बारिश ने अच्छी बुवाई की उम्मीद जगा दी है। बिकवाली के दबाव के बीच कीमतों में गिरावट हुई है क्योंकि स्टॉकिस्ट अपने स्टॉक को बेचने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
मेंथा तेल वायदा (जुलाई) की कीमतों में तेजी दिख रही है और फसल खराब होने की खबरों पर यह 1,030-1,020 रुपये के स्तर पर सहारा मिल सकता है। इस बार खेत में पानी रुकने से फसल सड़ने से किसान मायूस हैं। पिछले कुछ सप्ताह दर्दनाक रहे हैं क्योंकि मानसून से पहले के मौसम में भारी बारिश ने मेंथा की फसल को नुकसान पहुँचाया है जो कि कटाई के लिए तैयार थी। पानी में डूबने के कारण पक्तियाँ मुरझाने लगी हैं। फसल की कटाई के साथ ही तेल निकालने का काम भी शुरू हो गया है। लखनऊ स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स का अनुमान है कि पिछले दो हफ्तों में फसल पर बारिश के इस प्रतिकूल प्रभाव के कारण उत्पादन में 30% की कमी आने की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 23 जून 2021)
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