कॉटन वायदा (जुलाई) की कीमतों के 24,900-25,200 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार करने की संभावना है।
वर्तमान परिदृश्य में, निर्यात और बुवाई की धीमी गति के बीच भी मिला-जुला सेंटीमेंट है। हाल के हफ्तों में बुवाई में तेजी आयी है, लेकिन यह अभी भी रबी फसलों की कटाई में देरी और मॉनसून में देरी के कारण पिछड़ रही है, जिससे खरीफ की कुल बुवाई प्रभावित हुई है। माँग पक्ष पर, घरेलू बाजार में लगातार ऊँची कीमतों के कारण भारत के कपास निर्यात पर दबाव बना हुआ है। माल ढुलाई सहित भारत से निर्यात लागत 97-98 सेंट प्रति पाउंड है, जो ब्राजील और अमेरिका से बेहतर गुणवत्ता वाली फसल से थोड़ा अधिक है। उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि कपास का निर्यात सितंबर के अंत तक 6.5-7.0 मिलियन बेल तक पहुँच सकता है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने चालू सीजन के लिए 7.2 मिलियन बेल निर्यात का अनुमान लगाया है।
ग्वारसीड वायदा (अगस्त) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 4,020-4,080 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (अगस्त) की कीमतों के 6,250-6,350 रुपये के दायरे में बने रहने की संभावना है। पिछले महीने से कमजोर माँग के बीच ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों पर दबाव दिख रहा है। इसके अलावा, अन्य फसलों की बुवाई में देरी के कारण मॉनसून की प्रगति किसानों को ग्वारगम की खेती करने के लिए मजबूर कर सकती है। आईएमडी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के पश्चिम उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ और हिस्सों और दिल्ली में 10 जुलाई के आसपास आगे बढ़ने की संभावना है।
चना वायदा (अगस्त) की कीमतों को 4,850 रुपये के आसपास सहारा और 4,900-5,050 रुपये के स्तर तक कुछ बढ़त होने की संभावना है। बाजार सूत्रों के अनुसार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक राज्य में नॉफेड की पीएसएफ चना रबी 2019 और रबी 2020 के लिए नीलामी कार्यक्रम को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है। साथ ही नॉफेड ने कल से महाराष्ट्र में रबी 2020 का चना बेचना बंद कर दिया। (शेयर मंथन, 12 जुलाई 2021)
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