घरेलू और निर्यात माँग के कारण हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें कल फिर से 3% से अधिक की बढ़त के साथ बंद हुई और कीमतों के 10,200-10,850 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
वर्तमान समय में देश में कम उत्पादन की उम्मीद पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 66% अधिक हैं। लेकिन सामान्य निर्यात वॉल्यूम के कारण कीमतों की बढ़त पर रोक लग रही रही है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 7 महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में पिछले साल के मुकाबले 23% घटकर 89,850 टन निर्यात हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 6.5% अधिक है।
जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतें कल बढ़त के साथ बंद हुई और कीमतों के 16,350 रुपये पर सहारा के साथ 17,200 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। वर्तमान समय में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 30% अधिक हैं। भौतिक माँग बढ़ रही है जबकि बुवाई की प्रगति अभी भी धीमी है। कृषि विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 27 दिसंबर तक गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.64 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 5.30 लाख हेक्टेयर में जीरा की बुआई हुई है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 17% घटकर 1.50 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 1.82 लाख टन हुआ था।
स्टॉकिस्टों और प्रोसेसरों की ओर से खरीदारी के कारण धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतें कल 1.5% की बढ़त के साथ बंद हुई और कीमतों के 8,870 रुपये पर सहारा के साथ 9,400 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बुवाई जारी है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बुआई की धीमी प्रगति की खबरें हैं क्योंकि किसान तिलहन और दलहन की फसल में स्थानांतरित हो गये हैं। लेकिन 03 जनवरी 2022 को गुजरात में धनिया का रकबा 1,25,391 हेक्टेयर है, जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 145% है, लेकिन पिछले साल के 1,38,372 हेक्टेयर से कम है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 33,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 28,800 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 8.6% अधिक है। (शेयर मंथन, 05 जनवरी 2022)
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