कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतों में लगातार पाँच सप्ताह तक बढ़त के बाद पिछले हफ्ते हुई मुनाफा वसूली के कारण गिरावट हुई है।
कपास के निर्यात की धीमी गति और ऊँची कीमतों के कारण आवक में बढ़ोतरी से कीमतों में कुछ गिरावट हुई है। अब कीमतों के 34,460 रुपये पर सहारा के साथ 37,500 रुपये तक बढ़ोतरी दर्ज करने की संभावना है। उत्पादन में कमी की आशंका और निर्यात के लिए कच्चे कपास की अधिक माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 67% अधिक हैं। सूत की मजबूत माँग के कारण कताई मिलें तेजी से कपास खरीद रही हैं। बाजार सूत्रों के अनुसार कपास की दैनिक आवक 1.75 लाख बेल रह गयी, जो पिछले साल मौजूदा समय में 2.50 लाख बेल थी। यूएसडीए ने अपनी मासिक रिपोर्ट में भारत में कपास के उत्पादन को पिछले महीने के 28 मिलियन बेल से घटाकर 27.5 मिलियन बेल कर दिया है जबकि सबसे बड़े निर्यातक अमेरिका में कपास के उत्पादन में 3.61% की कटौती करके 17.6 मिलियन बेल कर दिया गया है।
माँग में बढ़ोतरी के कारण ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतें लगातार दूसरे सप्ताह मजबूती के साथ बंद हुई। अब कीमतों के 6,170 रुपये पर सहारा के साथ 6,600 रुपये के स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है। वर्तमान में, कम उत्पादन, कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 64% अधिक हैं। दिसंबर के बाद से, निर्यात माँग में वृद्धि के कारण कीमतों में धीरे-धीरे वृद्धि हुई है। अक्टूबर में, ग्वारगम का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 60% बढ़कर 27,150 टन हो गया, जबकि 2021-22 (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 46% बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया लेकिन अभी भी पूर्व-कोविड स्तरों तक नहीं पहुँचा है।
लगातार छह हफ्ते तक गिरावट के बाद कम कीमतों पर अधिक माँग के कारण कैस्टरसीड (फरवरी) की कीमतों में पिछले सप्ताह 6% के करीब उछाल दर्ज की गयी। गुजरात में मौजूदा सीजन की तुलना में 2021-22 में उत्पादन पहले की अपेक्षा कम होने के अनुमान से कीमतों को मदद मिली। अब कीमतों के 6,100-6,520 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमानों के अनुसार कम रकबा होने के कारण अरंडी का उत्पादन पिछले तीन वर्षों में सबसे कम 15.98 लाख टन होने का अनुमान से कीमतों में वर्ष-दर-वर्ष 41% की वृद्धि हुई है। गुजरात कृषि विभाग के दूसरे अग्रिम अनुमान ने अरंडी के उत्पादन को 1 लाख टन घटाकर 13.02 लाख टन कर दिया, जबकि पहले अनुमान में यह 14 लाख टन था। पिछले साल 13.45 लाख टन उत्पादन हुआ था। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण पिछले तीन महीनों के दौरान अरंडी के तेल का निर्यात कम हुआ है। सितंबर-नवंबर के दौरान निर्यात पिछले साल के 1.65 लाख टन की तुलना में 16% घटकर 1.39 लाख टन रह गया। इसी तरह, (अगस्त-नवंबर) के दौरान अरंडीमील के निर्यात में 32% की गिरावट हुई है। (शेयर मंथन, 22 जनवरी 2022)
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