हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में 7 वर्षो के उच्च स्तर से पिछले सप्ताह थोड़ी गिरावट दर्ज की गयी।
इसकी कीमतों में 9,970-10,700 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। वर्तमान समय में, देश के कम उत्पादन अनुमान के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 72% अधिक हैं। विदेशी बाजारों से अधिक माँग के कारण भी कीमतों को मदद मिल रही है जबकि हाजिर बाजारों में नयी फसल की आवक हो रही है। उत्पादक क्षेत्रों, विशेषकर महाराष्टं में भारी बारिश को देखते हुये, फसल की उपज कम हो सकती है और दो से तीन सप्ताह की देरी हो सकती है। इसके कारण कर्नाटक में भी उत्पादन लगभग 20%-25% कम हो सकता है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 7 महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में, पिछले साल के मुकाबले 23% घटकर 89,850 टन निर्यात हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 6.5% अधिक है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतों में लगातार तीसरे हफ्ते बढ़ोतरी हुई है और पिछले सप्ताह 4 वर्षो के उच्च स्तर पर पहुँच गयी है। आने वाले सीजन में कम उत्पादन की खबरों से हाजिर बाजारों से माँग में बढ़ोतरी होा रही है। अब कीमतों के 17,250 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 19,500 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। बुआई क्षेत्र में गिरावट और घरेलू माँग में सुधार की खबरों के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 35% अधिक हैं। कृषि विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 10 जनवरी तक गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.04 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.69 लाख हेक्टेयर था, जबकि राजस्थान में 5.30 लाख हेक्टेयर में जीरा की बुआई हुई है। गुजरात कृषि विभाग के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, राज्य में 2021-22 में जीरा उत्पादन 236,980 टन हुआ था, जो एक साल पहले के 3,99,390 टन से बहुत कम है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 17% घटकर 1.50 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 1.82 लाख टन हुआ था।
लगातार बारिश और ठंडी जलवायु के कारण फसल के नुकसान की खबरों के कारण धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतें लगातार तीसरे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुई है और 7 साल के उच्च स्तर पर पहुँच गयी और अब कीमतों के 9,800 रुपये पर सहारा के साथ 10,600 रुपये तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। वर्तमान में सामान्य से कम रकबे के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 66% अधिक हैं। प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों के अन्य फसलों की ओर रुख करने के बाद धनिया के रकबे में गिरावट के कारण उत्पादन कम होने की संभावना है। 10 जनवरी तक गुजरात में धनिया का रकबा 1,25,444 हेक्टेयर है जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 145% है लेकिन पिछले साल के 1,40,400 हेक्टेयर से कम है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 33,000 टन से 12.7 फीसदी घटकर 28,800 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 8.6% अधिक है। (शेयर मंथन, 17 जनवरी 2022)
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