केंद्रीय बजट आने से एक दिन पहले गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण 2019 को संसद में पेश किया है।
आर्थिक सर्वेक्षण में स्थिर मैक्रो आर्थिक स्थितियों के सहारे वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक विकास दर 7% रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं 2017-18 में 6.4% की तुलना में 2018-19 में राजकोषीय घाटे के 5.8% रहने का अंदाजा लगाया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2024-25 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत की विकास दर 8% होनी चाहिए। इसके लिए निवेश पर जोर और एसएमई (SME) क्षेत्र को महत्वपूर्ण माना गया है। सर्वेक्षण में जिक्र किया गया है कि निवेश की दर अपने निचले स्तर पर पहुँच गयी है तथा इसके और अधिक नीचे जाने की संभावना नहीं है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन द्वारा तैयार किये सर्वेक्षण में 2019 की जनवरी-मार्च तिमाही में आयी मंदी के पीछे एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) संकट और आम चुनावों के कारण बनी अनिश्चितता को मुख्य वजह बताया गया है। बता दें कि यह वही तिमाही रही जिसमें सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के मामले में भारत चीन से पिछड़ गया।
सर्वेक्षण में सुस्त विकास दर, जीएसटी और कृषि योजनाओं को मुख्य चुनौतियों में शामिल किया गया है। साथ ही केंद्र सरकार से नयी योजनाओं का वित्तपोषण करने के लिए राजकोषीय अंतर पर समझौता न करने का अनुरोध किया गया है। चालू वित्त वर्ष में जीएसटी से राजकोषीय स्थिति में सुधार की उम्मीद के अलावा 2018-19 में 28.34 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।
इसके अलावा आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में वित्त वर्ष 2019-20 में कृषि, वानिकी और मछली क्षेत्रों के लिए अस्थायी रूप से 2.9% विकास दर का अनुमान लगाया गया है।
बता दें कि आर्थिक सर्वेक्षण बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है। शुक्रवार 5 जुलाई को निर्मला सीतारमण नयी सरकार का पहला बजट पेश करने जा रही हैं। (शेयर मंथन, 04 जुलाई 2019)
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