अप्रैल 2017 के महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index Of Industrial Production) या आईआईपी (IIP) कुछ फिसल कर 3.1% पर आ गया है।
पिछले साल अप्रैल में आईआईपी वृद्धि दर 6.5% थी। विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग), खनन (माइनिंग), बिजली, पूँजीगत वस्तुएँ (कैपिटल गुड्स) और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं (कंज्यूमर ड्यूरेबल्स) जैसे क्षेत्रों में सुस्त प्रदर्शन की वजह से आईआईपी में गिरावट आयी है।
इन आँकड़ों ने उद्योग जगत को ब्याज दरों में कटौती की माँग दोहराने का अवसर दिया है। हाल ही में अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और रेपो दर को 6.25% पर स्थिर रखा। यह लगातार चौथी समीक्षा थी, जिसमें आरबीआई ने अपनी दरों को पिछले स्तर पर बनाये रखा।
हालाँकि मार्च 2017 के महीने में आईआईपी वृद्धि दर 2.7% पर थी। इस तरह महीने-दर-महीने देखें तो आईआईपी में थोड़ा सुधार आया है। इससे पहले फरवरी में आईआईपी में 1.2% की गिरावट ही आयी थी। इसी रुझान को देखते हुए उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) के अध्यक्ष पंकज पटेल (Pankaj Patel) ने इन आँकड़ों पर अपनी टिप्पणी में कहा है कि कुल मिला कर औद्योगिक वृद्धि अब स्थिर होती हुई लग रही है और आने वाले महीनों में वैश्विक माँग सुदृढ़ रहने पर इसमें तेजी आ सकती है।
मगर आईआईपी के अप्रैल 2017 के मासिक आँकड़ों पर फिक्की ने भी ब्याज दरों (Interest Rates) में कटौती की माँग दोहरायी है। पंकज पटेल के मुताबिक उद्योग जगत को अब उम्मीद है कि आने वाली विदेश व्यापार नीति की समीक्षा में मैन्युफैक्चरिंग निर्यात को कुछ और प्रोत्साहन दिये जायेंगे। उनका कहना है कि मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को कुछ और समायोजक बनाने और ब्याज दरों को घटाने पर उपभोक्ता माँग प्रेरित होगी, जिससे निर्यात में किसी संभावित गिरावट के जोखिम से बचाव हो सकेगा। (शेयर मंथन, 13 जून 2017)