मंगलवार से संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गयी है।
आज संसद के समक्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण के बाद आर्थिक सर्वेक्षण संसद के पटल पर रखा। यह पहली बार है जब राष्ट्रपति के अभिभाषण के तुरंत बाद आर्थिक सर्वेक्षण संसद के पटल पर रखा गया। इस सर्वेक्षण के मुताबिक ब्याज दरों में कटौती से अगले वित्त वर्ष में विकास दर बढ़ सकती है। इस आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2017-18 में विकास दर 6.75 से 7.5% प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया है। दूसरी ओर वित्त वर्ष 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर घट कर 6.5% पर रहेगी, जो कि पिछले वर्ष 7.6% थी। चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की विकास दर 4.1% रहेगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 1.2% थी। सर्वेक्षण के अनुसार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और कच्चे तेल के घटे दाम से अप्रत्याशित राजकोषीय लाभ, अचल संपत्ति की कीमतें घटने से मध्यम वर्गीय परिवारों को सस्ते मकान और नये नोटों के चलन में आ जाने से फिर से आर्थिक विकास के सामान्य होने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2016-17 में नियत निवेश (सकल नियत पूँजी निर्माण) और जीडीपी का अनुपात (वर्तमान मूल्यों पर) 26.6% रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 29.3% था। नकारात्मक निर्यात वृद्धि का रुझान 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान कुछ हद तक बेहतर हुआ और निर्यात 0.7% बढ़कर 19,880 करोड़ डॉलर तक पहुँच गया। वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही के दौरान चालू खाता घाटा 2015-16 की पहली छमाही के मुकाबले 1.5% से घटकर जीडीपी का 0.3% रह गया। सितंबर 2016 के आखिर में भारत का विदेशी कर्ज 484.3 अरब डॉलर था जो कि मार्च 2016 के आखिर के स्तर की तुलना में 0.8 अरब डॉलर कम था। साथ ही कृषि क्षेत्र के 2016-17 के दौरान 4.1% प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो कि 2015-16 के दौरान 1.2% थी। 13 जनवरी तक रबी फसलों का कुल क्षेत्र 616.2 हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष इस समय तक की तुलना में 5.9% अधिक है। 2017-18 का आम बजट बुधवार 1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली पेश करेंगे। (शेयर मंथन, 31 जनवरी 2017)