केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वे मंगलवार 31 जनवरी को सदन में पेश किया। आर्थिक सर्वे में उम्मीद जताई गयी है कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के असर से मुक्त हो चुकी है। यही वजह है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने 2022 में दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा तेजी से पहले की स्थिति में वापसी की है।
इसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर 7% (वास्तविक) रहने का अनुमान जताया गया है। साथ ही अगले वित्त वर्ष 2023-24 में देश की आर्थिक वास्तविक आधार पर विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया गया है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में देश की आर्थिक विकास दर 8.7% दर्ज की गयी थी। देश का आर्थिक सर्वेक्षण हर साल बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि क्रय शक्ति समानता (PPP) के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके साथ ही विनिमय दर के मामले में पाँचवाँ सबसे बड़ा देश है। सर्वे में कहा गया है कि कोरोना काल के बाद भारत ने शानदार तरीके से वापसी दिखाई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार देखा जा रहा है। महामारी की वजह से जो काम रुक गये थे, उन्हें फिर से शुरू किया गया है और जो नुकसान हुआ था उसकी काफी हद तक पूर्ति कर ली गयी है।
आर्थिक सर्वेक्षण में रिजर्व बैंक के हवाले से चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 6.8% रहने का अनुमान जताया गया है, जो आरबीआई की सहनसीमा के दायरे से अधिक है। हालाँकि इससे न तो खपत में कोई कमी आयेगी और न ही निवेश प्रभावित होगा। महँगाई दर अधिक रहने से लंबे समय तक ब्याज दरें उच्च स्तर पर रह सकती हैं, जिससे कर्ज लेना महँगा हो सकता है। भारत में खुदरा महँगाई दर नवंबर 2022 में 6% के नीचे आयी। इससे पहले जनवरी 2022 से लगातार 10 महीनों तक यह केंद्रीय रिजर्व बैंक की सहनसीमा के ऊपर बनी रही थी।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति चिंताजनक बनी रहेगी। देश में निर्यात स्थिर होने और का चालू खाता घाटा बढ़ने से रुपये पर दबाव आ सकता है।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के लिए ऋण में तेजी वृद्धि दर्ज की गयी। यह जनवरी-नवंबर 2022 के दौरान औसत आधार पर 30.5% रही। वित्त वर्ष 2023 के आठ महीनों के दौरान केन्द्र सरकार के पूंजीगत व्यय में 63.4% की दर से बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी। यह मौजूदा साल में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने का प्रमुख कारण रहा है। सर्वे में सरकार ने अनुमान जताया है कि 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूँजीगत व्यय के लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा।
(शेयर मंथन 31 जनवरी, 2023)