कंपनी ने यह करार चिन्हित स्टेम (STEM) के क्षेत्र में मदद करने के लिए किया है।यहां पर स्टेम यानि साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में सहयोग के लिए किया है। आईटीसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह समझौता पत्र सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने की गति को बढ़ाने के मकसद से किया गया है।
फिलहाल अनुसंधान के लिए जिन क्षेत्रों की पहचान की गई है उसमें एनर्जी स्टोरेज, लो कार्बन कोल्ड ट्रांसपोर्टेशन और प्लास्टिक के बायोडिग्रेडेशन शामिल हैं। इसके अलावा भविष्य में उन क्षेत्रों में भी अनुसंधान कियाजाएगा जो दोनों के लिए फायदेमंद हैं। आईटीसी के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेंट और सोशल इन्वेस्टेमेंट्स हेड प्रभाकर लिंगारेड्डी ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों की तकनीकी विशेषज्ञता का इस्तेमाल सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने में इस्तेमाल होना चाहिए।
उनके मुताबिक कंपनी अपने व्यापक सततता के संस्करण-2 के तहत महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसके तहत समेकित रणनीति को अपनाया जाएगा जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके। साथ ही नए तरीकों को भी अपानाया जाएगा जिससे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटा जा सके।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली के अनुसंधान एवं विकास,के डीन सुनील खरे ने कहा कि इस करार के तहत कटिंग एज अनुसंधान पर जोर दिया जाएगा। साथ ही यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि आईटीसी कैसे इनोवेशन और विकसित सॉल्यूशंस को ग्राहकों के साथ समाज के बेहतरी के लिए इसका इस्तेमाल करेगी।
उद्योग जगत में रोजाना नए-नए बदलाव हो रहे हैं जिसके कारण ससत विकास के साथ नए इनोवेशन की जरूरत काफी बढ़ गई है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है जिसमें अकादमिक क्रियाकलाप, अऩुसंधान, इनोवेशन और तकनीकी विकास शामिल है। (शेयर मंथन 03 मई 2022)
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