हल्दी वायदा (जून) की कीमतें 7,070 रुपये के सहारा स्तर से नीचे टूट कर 7,000 रुपये तक लुढ़क सकती हैं।
भारत में इस वर्ष लगभग 60-62 लाख बैग हल्दी के उत्पादन का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष का पुराना स्टॉक लगभग 20-22 लाख बैग हो सकता है। इस प्रकार मौजूदा सीजन में कुल आपूर्ति लगभग 80-82 लाख बैग होने की संभावना है, जबकि कुल घरेलू और निर्यात माँग लगभग 72-75 लाख बैग हो सकती है। इस प्रकार 2019 के लिए कुल लगभग 7-10 लाख बैग हल्दी शेष बच सकती है।
जीरा वायदा (जून) की कीमतें यदि 16,450 रुपये के बाधा स्तर को पार करती है तो 16,520-16,600 रुपये तक पहुँच सकती हैं। कारोबारियों को आगामी दिनो में कीमतों में तेजी के रुझान की उम्मीद है क्योंकि सीरिया में तनाव बढ़ रहा है और अनियमित मौसम के कारण उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है, जिससे भारत से वैश्विक निर्यात माँग में बढ़ोतरी हो सकती है। हाजिर बाजारों में नरमी के रुझान पर धनिया वायदा (जून) की कीमतों में 4,250 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती है। किसानों द्वारा अपने पूराने स्टॉक की अधिक आवक के कारण बिकवाली का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। कीमतों में गिरावट की आशंका से किसान अपने स्टॉक की बिकवाली कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त धनिया की घरेलू कीमतों की तुलना में विदेशी बाजारों में कीमतें कम होने से रुपये और बुल्गारिया से लगातार आयात के कारण नरमी का सेंटीमेंट बढ़ता जा रहा है। आयातित धनिया की कीमत 3,600-3,800 रुपये प्रति 100 किलो ग्राम है, जो 36.5% आयात शुल्क चुकाने के बावजूद 600-900 रुपये सस्ता है। (शेयर मंथन, 31 मई 2018)
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