कॉटन वायदा (जनवरी) में नरमी के रुझान के साथ 20,700-21,300 रुपये के दायरे में कारोबार जारी रहने की संभावना है।
विश्व में सुस्ती के साथ कारोबार के साथ ही मिलों और निर्यातकों की ओर से कम खरीदारी के कारण दक्षिण और मध्य भारत में कपास की कीमतों में गिरावट हुई है। केवल जरूरतमंद मिलें ही कपास की खरीदारी कर रही है और कीमतों में गिरावट की उम्मीद से वे खरीदारी से दूरी बनाये हुये हैं। अधिक आवक के कारण विक्रेता मौजूदा कीमतों पर बेचना नही चाहते हैं, क्योंकि मौजूदा कीमतें लाभकारी नही हैं। अमेरिकी बाजार में कपास की कीमतों में गिरावट हुई है। अमेरिकी डॉलर में गिरावट के बावजूद वैश्विक आर्थिक सुस्ती की आशंका से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,100 रुपये तक गिरावट जारी रहने की संभावना हैं, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतें 8,100 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट नहीं होने की उम्मीद से पेराई मिलों ने कुछ अच्छा करार किया था, लेकिन अब तेल की कीमतों में लगातार नरमी के रुझान के कारण सेंटीमेंट बाधित हुआ है। अमेरिका की तेल कंपनियों द्वारा ग्वारगम के सस्ते विकल्पों का इस्तेमाल किये जाने के कारण ग्वारगम की माँग नहीं हो रही है, जबकि स्टॉकिस्ट ग्वार की खरीदारी नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास पहले से ही काफी स्टॉक है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,300-4,250 रुपये तक गिरावट हो सकती है। चना दाल और बेसन की कम बिक्री के बाद मिलों की ओर से चना की कम खरीदारी के कारण कल देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में नरमी का रूझान है। नाफेड द्वारा खरीदे गये स्टॉक की मौजूदा कीमतों पर बिक्री से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 26 दिसंबर 2018)
ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,100 रुपये तक गिरावट जारी रहने की संभावना हैं, जबकि ग्वारगम वायदा (जनवरी) की कीमतें 8,100 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट नहीं होने की उम्मीद से पेराई मिलों ने कुछ अच्छा करार किया था, लेकिन अब तेल की कीमतों में लगातार नरमी के रुझान के कारण सेंटीमेंट बाधित हुआ है। अमेरिका की तेल कंपनियों द्वारा ग्वारगम के सस्ते विकल्पों का इस्तेमाल किये जाने के कारण ग्वारगम की माँग नहीं हो रही है, जबकि स्टॉकिस्ट ग्वार की खरीदारी नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास पहले से ही काफी स्टॉक है।
चना वायदा (जनवरी) की कीमतों में 4,300-4,250 रुपये तक गिरावट हो सकती है। चना दाल और बेसन की कम बिक्री के बाद मिलों की ओर से चना की कम खरीदारी के कारण कल देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में नरमी का रूझान है। नाफेड द्वारा खरीदे गये स्टॉक की मौजूदा कीमतों पर बिक्री से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 26 दिसंबर 2018)
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