कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतें 22,100-22,400 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं।
पिछले 6 हफ्ते में घरेलू कपास की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी कम होती जा रही है। ब्राजील से कम कीमतों पर उपलब्धता के कारण भारत से 4,00,000-5,00,000 बेल कपास का निर्यात खतरे में पड़ गया है। विश्व बाजार में कपास की कीमतों में तेज गिरावट हुई है। आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में 17 से 40 प्वाइंट की बढ़त दर्ज की गयी है। फरवरी में अमेरिकी कपास का निर्यात जनवरी की तुलना में 21.55% बढ़ कर 14.84 लाख बेल हुआ है।
चना वायदा (मई) की कीमतों के 4,470-4,560 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। इसलिए 4,475 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ निचले स्तर पर खरीदारी की सलाह दी जाती है। अधिक आयात शुल्क के कारण ऑस्ट्रेलिया से सीमित आयात के कारण कीमतों में तेजी का रुझान देखा जा रहा है। भारतीय स्नैक्स निर्माताओं की ओर से चने की बढ़ती माँग के कारण भी कीमतों को मदद मिल सकती है। दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पिछले वर्ष की तुलना में आवक कम हो रही है।
ग्वारसीड और ग्वारगम वायदा (मई) की कीमतों में क्रमशः 4,290 रुपये और 8,650 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती है। मौसम विभाग के नवीनतम अनुमान के अनुसार इस वर्ष मार्च-मई के दौरान के एल्नीनो के विकसित होने की संभावना के कमजोर पड़ने से मॉनसून के सामान्य रहने के संभावना है और मॉनसून का वितरण पूरे देश होने की संभावना है जो ग्वार की खेती के काफी अनुकूल रहने की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 18 अप्रैल 2019)
चना वायदा (मई) की कीमतों के 4,470-4,560 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। इसलिए 4,475 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ निचले स्तर पर खरीदारी की सलाह दी जाती है। अधिक आयात शुल्क के कारण ऑस्ट्रेलिया से सीमित आयात के कारण कीमतों में तेजी का रुझान देखा जा रहा है। भारतीय स्नैक्स निर्माताओं की ओर से चने की बढ़ती माँग के कारण भी कीमतों को मदद मिल सकती है। दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पिछले वर्ष की तुलना में आवक कम हो रही है।
ग्वारसीड और ग्वारगम वायदा (मई) की कीमतों में क्रमशः 4,290 रुपये और 8,650 रुपये तक गिरावट जारी रह सकती है। मौसम विभाग के नवीनतम अनुमान के अनुसार इस वर्ष मार्च-मई के दौरान के एल्नीनो के विकसित होने की संभावना के कमजोर पड़ने से मॉनसून के सामान्य रहने के संभावना है और मॉनसून का वितरण पूरे देश होने की संभावना है जो ग्वार की खेती के काफी अनुकूल रहने की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 18 अप्रैल 2019)
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