निचले स्तर पर नयी खरीदारी के कारण हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें शुक्रवार को 3.2% की बढ़त के साथ बंद हुई और कीमतों के तेजी के रुझान के साथ 9,910-10,500 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
निर्यात माँग की उम्मीद से हल्दी की माँग में सुधार हुआ है। वर्तमान समय में देश में कम उत्पादन की उम्मीद पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 46% अधिक हैं। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 8 महीनों (अप्रैल-नवम्बर) में पिछले साल के मुकाबले 22% घटकर 102,126 टन निर्यात हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 7.2% अधिक है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतें शुक्रवार को 1.3% की बढ़त के साथ बंद हुई। अब कीमतों के 20,000 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 20,800 रुपये तक बढ़त दर्ज करने की संभावना है। बुआई क्षेत्र में गिरावट और घरेलू माँग में सुधार की खबरों के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 54% अधिक हैं। 2021-22 में, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.69 लाख हेक्टेयर था और दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार उत्पादन पिछले वर्ष के 4 लाख टन की तुलना में 41% घटकर 2.37 लाख टन होने की उम्मीद है। राजस्थान में भी रकबे में लगभग 30% की गिरावट आयी है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-नवम्बर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 20% घटकर 1.61 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 2.02 लाख टन हुआ था।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतें शुक्रवार को 5% की बढ़त के साथ बंद हुई और कीमतों के 10,300 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ 10,700 रुपये तक बढ़त दर्ज करने की संभावना है। सामान्य की तुलना में कम रकबे और उत्तर भारत में शीत लहर के कारण उत्पादन में कमी की आशंका से वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 66.4% अधिक हैं और जनवरी 2022 में 13.4% अधिक हैं। गुजरात में 24 जनवरी को धनिया का रकबा 1,25,444 हेक्टेयर है जो सामान्य क्षेत्र की तुलना में 145% है लेकिन पिछले साल के 1,41,004 हेक्टेयर से कम है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-नवम्बर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 37,765 टन से 13% घटकर 32,900 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 10% अधिक है। (शेयर मंथन, 07 फरवरी 2022)
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