भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज शेयर बाजार को कुछ निराश तो किया है, लेकिन मुझे लगता है कि बाजार ज्यादा समय तक कमजोर नहीं रहेगा।
आरबीआई ने ब्याज दरों में कमी नहीं करने और केवल सीआरआर में 0.25% अंक की कटौती का जो फैसला किया है, वह उसने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को समझ कर और इसके सामने मौजूद चुनौतियों को देख कर ही किया है। इसलिए आरबीआई ने अपनी समझ से जो फैसला किया है, हमें उसका समर्थन करना चाहिए।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने जरूर यह संकेत दिया था कि वे ब्याज दरों में कटौती होते देखना चाहते हैं। लेकिन आरबीआई एक स्वायत्त संस्था है और इसने अपने फैसले से इस बात को साबित भी किया है। आर्थिक स्थिति के बारे में उसका अपना अलग नजरिया है, जो अराजनीतिक है। आरबीआई ने यह दिखाया है कि वह राजनीतिक वर्ग की इच्छा के मुताबिक चलने के लिए बाध्य नहीं है।
आरबीआई के इस फैसले से बाजार अभी कुछ निराश जरूर है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह निराशा ज्यादा लंबे समय तक चलेगी। हमें इस अवसर का इस्तेमाल खरीदारी के लिए करना चाहिए। आरबीआई से इस फैसले से उद्योग जगत को भी निराशा होगी, लेकिन उन्हें यह उम्मीद रहेगी कि चलो इस बार नहीं तो अगली तिमाही में इसमें कमी आयेगी।
अगर महँगाई दर वाकई नीचे आनी शुरू हो जाये तो आरबीआई आक्रामक ढंग से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत भी कर सकता है। लेकिन आरबीआई राजनीतिक वर्ग से मिले संकेतों पर चलने के बदले पहले जमीनी स्तर पर बदलाव देखना चाहता है। आरबीआई की मुख्य चिंता महँगाई को लेकर है। आरबीआई चाहता है कि विकास दर सुधरे, लेकिन नरम महँगाई दर के साथ। आरबीआई अभी सावधानी के साथ कदम आगे बढ़ाना चाहता है। जब भी महँगाई दर कुछ कम होगी और निवेश का वातावरण सुधरता दिखेगा तो आरबीआई भी अपनी ब्याज दरों में आक्रामक कटौती के लिए कदम आगे बढ़ायेगा। मुझे तो लगता है कि आरबीआई ने सीआरआर में 0.25% की कटौती की है, वह भी सरकार की ओर से मिले संकेतों की वजह से है। अगर सरकार के ये संकेत नहीं रहे होते तो सामान्य स्थितियों में शायद यह भी नहीं होता। घाटा कम करने के बारे में सरकार की कुछ घोषणाओं को अगर छोड़ दें तो जमीनी स्तर पर कुछ खास नहीं बदला है। इसीलिए आरबीआई ने अभी ग्लास को आधा भरा हुआ देखने के बदले आधा खाली देखना वाजिब समझा है।
अभी शेयर बाजार में मेरी रणनीति यही होगी कि किसी भी गिरावट में खरीदारी की जाये। अगर निफ्टी 5550 के पास आये तो यह निवेश के लिए सुरक्षित स्तर होगा। इस स्तर के आसपास पहले भी बाजार में एफआईआई की अच्छी-खासी खरीदारी होती देखी गयी है। आरबीआई का आज का कदम एफआईआई को भारतीय बाजार से दूर नहीं करने वाला है। वे कुछ दिनों से जरूर शांत बैठे हैं, क्योंकि वैश्विक बाजार भी ठंडे पड़े हैं। साथ में इतनी बड़ी उछाल के बाद अगर बाजार कुछ समय के लिए दम लेना चाहता है तो इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। बाजार बिना किसी नरमी के या कुछ समय तक एक दायरे में समय बिताये बिना लगातार ऊपर तो नहीं जा सकता। मुझे लगता है कि निफ्टी ने 5500-5550 के आसपास आने के लिए इसे एक बहाने की तरह से इस्तेमाल किया है और यह खरीदारी के लिए अच्छा मौका है।गजेंद्र नागपाल, सीईओ, यूनिकॉन फाइनेंशियल (Gajendra Nagpal, CEO, Unicon Financial)
(शेयर मंथन, 30 अक्टूबर 2012)
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