भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर (Repo Rate) को 6.50% ही बरकरार रखा है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी द्विमासिक बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। हालाँकि जानकारों के बीच रेपो दर में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की संभावना काफी प्रबल थी। हालाँकि रेपो दर बरकरार रखते हुए एमपीसी ने अपना रुख "तटस्थ" से "‘सधे ढंग से सख्त" किया है।
रेपो दर वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण देता है, जिससे उनके ऋणों की दरें प्रभावित होती हैं।
इससे पहले एमपीसी ने जून और अगस्त में लगातार दो बार रेपो दर में 0.25% का इजाफा किया था। आज एमपीसी के 5 सदस्य रेपो दर में बदलाव न करने और एक सदस्य इसे बढ़ाने के पक्ष में रहे। डॉ पामी दुआ, डॉ चेतन घाटे, डॉ माइकल देवव्रत पत्र, डॉ विरल वी आचार्य और डॉ उरजीत पटेल ने मौजूदा रेपो दर को बरकरार रखने के पक्ष में मत रखा, जबकि केवल डॉ रविंद्र एच ढोलकिया रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में रहे। जून में एमपीसी ने 52 महीनों के बाद सर्वानुमति से रेपो दर में 0.25% का इजाफा किया था।
एमपीसी ने चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रिवर्स रेपो दर को 6.25% और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर को 6.75% ही बरकरार रखा है। एमपीसी की अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर के लिए तय की गयी है।
इस बीच एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए 4.0% और दूसरी छमाही के लिए 3.9-4.5% मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया है। साथ ही अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए 4.8% मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया गया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की बात करें तो एमपीसी ने वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही के लिए 3.7%, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए 3.8-4.5% और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के लिए 4.8% का अनुमान लगाया गया है। एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए 7.4% विकास दर का अनुमान बरकरार रखा है।
इस बीच सेंसेक्स 897 और निफ्टी 319 लुढ़क गया है, जबकि डॉलर के मुकाबले रुपया 74 का आँकड़ा पार कर सर्वकालिक निचले स्तर पर फिसल गया है। (शेयर मंथ, 05 अक्टूबर 2018)