
बाजार नियामक सेबी (SEBI) द्वारा म्यूचुअल फंडों (Mutual Funds) के लिए नियमों में सख्ती करने से सितंबर में वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper) या सीपी के इश्यू में कमी आयी।
सितंबर में 54,535 करोड़ रुपये के सीपी जारी किये गये, जो अगस्त में जारी किये गये 1.23 लाख करोड़ रुपये के सीपी की तुलना में आधे से भी कम है। वहीं जुलाई में कंपनियों मे 1.3 लाख करोड़ रुपये के सीपी जारी किये गये थे। वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देखें तो कुल 6.7 लाख करोड़ रुपये के सीपी जारी किये गये, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 12.4% कम हैं।
सीपी अधिकतर गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा जारी किये जाने वाले एक अल्पकालिक ऋण साधन हैं। कंपनियाँ एक साल तक की अवधि वाले सीपी कार्यकारी पूँजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी करती हैं। इन ऋण पत्रों में म्यूचुअल फंड सबसे बड़े निवेशक होते हैं।
सेबी ने म्यूचुअल फंडों के गैर-सूचीबद्ध सीपी में निवेश करने संबंधित नियम सख्त किये हैं। मानदंडों के अनुसार इस तरह के पत्रों में डेब्ट फंडों द्वारा मौजूदा निवेश को मैच्योरिटी तक रखने की अनुमति दी गयी है। मगर इसे आगे बढ़ाने या नवीकरण की संभावना नहीं है, जो कि आमतौर पर सीपी के मामलों में होता है। जानकार मानते हैं कि भविष्य में सख्त नियमों को देखते हुए जारीकर्ताओं के सीपी बाजार से बचने की संभावना है।
अधिकतर सीपी गैर-सूचीबद्ध हैं, इसलिए अल्पकालिक ऋण बाजार में सीपी की मांग प्रभावित हुई। जानकारों का मानना है कि बैंकों से पूँजी जुटाने में स्थिरता आयी है और पिछले वर्ष के मुकाबले ऋण की उपलब्धता में भी सुधार हुआ है। नतीजतन एनबीएफसी और कॉर्पोरेट धीरे-धीरे धन जुटाने के लिए बैंक ऋण का रुख कर रहे हैं। (शेयर मंथन, 12 अक्टूबर 2019)