राजीव रंजन झा
पूरे 21 हफ्तों के बाद भारत में महंगाई दर 10% के नीचे वापस लौटी है। इसलिए पूरी उम्मीद रहेगी कि बाजार इसका एक जश्न मनायेगा। एक दिन की छुट्टी के दौरान भारत कल दुनिया भर के लाल निशानों की मार से बचा रह गया था। आज अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तस्वीर पलट चुकी है और चारों तरफ हरियाली दिख रही है। इसलिए एक सकारात्मक माहौल में महंगाई दर की इस अप्रत्याशित कमी का फायदा मिलना स्वाभाविक ही है।
महंगाई दर घटने के चलते अब बाजार में यह उम्मीद भी जगेगी कि शायद ब्याज दरें और घटायी जायेंगीं। पहले ही उद्योग जगत की ओर से इस बात को लेकर सरकार पर काफी दबाव है। खुद सरकार के विभिन्न आर्थिक सलाहकार नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर), रेपो दर और साथ ही रिवर्स रेपो दर घटाने की जरूरत और संभावना पर जोर दे चुके हैं। महंगाई दर का एक झटके में 10.72% से घट कर 8.98% पर आना निश्चित रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए ब्याज दरों में और कटौती को आसान बनायेगा। लेकिन मुमकिन है कि यह फैसला एकदम जल्दी में न लिया जाये। दरअसल न तो बाजार को, और न ही आरबीआई या सरकार को यह उम्मीद थी कि महंगाई दर इतनी जल्दी 10% के नीचे लौट आयेगी। इसलिए शायद आरबीआई कोई कदम उठाने से पहले एक-दो हफ्ते का इंतजार करना बेहतर समझे, जिससे यह पक्का हो जाये कि महंगाई दर में यह कमी केवल एक बार की राहत नहीं है और वास्तव में अपने ऊपरी स्तरों से नीचे आ चुकी है।
लेकिन यह अभी हो या दो-चार हफ्तों बाद, इस बात की पूरी संभावना बन चुकी है कि ब्याज दरों में कटौती का एक और सिलसिला चलेगा। हाल में सीआरआर और रेपो दर में काफी कमी होने के बावजूद अपनी ब्याज दर घटाने से हिचक रहे निजी बैंक भी ब्याज दरों में कटौती के अगले दौर से बाहर नहीं रह पायेंगे, क्योंकि वैसा करने पर बाकी बाजार की तुलना में उनकी दरें हद से ज्यादा ऊँची हो जायेंगीं।
स्वाभाविक रूप से ब्याज दरों में कमी की इन उम्मीदों के चलते पूरे शेयर बाजार को और खास कर ब्याज दरों से प्रभावित क्षेत्रों को सहारा तो जरूर मिलेगा। स्वाभाविक रूप से बैंकिंग क्षेत्र को लेकर उम्मीदें रहेंगीं। काफी निवेशक रियल एस्टेट शेयरों की ओर भी लपकेंगे। लेकिन रियल एस्टेट को लेकर अभी सावधानी बरतना ही बेहतर है। जमीन-जायदाद के दामों में 3-4 गुना बढ़ोतरी के चलते जो मांग घटी है, वह ब्याज दरों में 1-2% की कमी से वापस नहीं लौटने वाली है।