हल्दी वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 6,600-6,550 रुपये तक नरमी का रुझान रहने की संभावना है।
इस वर्ष अधिक उत्पादन अनुमान और मौजूदा सुस्त माँग जैसे कमजोर फंडामेंटल के कारण कीमतों पर दबाव रह सकता है। खराब क्वालिटी की आवक के कारण इरोद की मंडियों में कीमतों पर दबाव है। अगले सीजन में बेहतर उत्पादन के अनुमान से किसान अपने स्टॉक को बेचने के लिए बाजार में ला रहे हैं।
जीरा वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 20,200 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। बेहतर माँग के कारण प्रमुख हाजिर बाजारों में जीरे की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। रुपये के कमजोर होने और अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में जीरे की कम उपलब्धता के कारण भारतीय जीरे की निर्यात माँग में बढ़ोतरी होने से हाजिर बाजारों में कीमतों को मदद मिल रही है।
इलायची वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 1,415 रुपये से ऊपर बढ़त जारी रह सकती है। पिछले कुछ महीने से केरल में लगातार बारिश के कारण फसल को नुकसान होने से कारोबारियों को 2018-19 (जुलाई-जून) में इलायची के उत्पादन में कमी आने की संभावना है। कारोबारियों का अनुमान है कि 2018-19 में इलायची का उत्पादन पिछले वर्ष के 30,000 टन की तुलना में 12,000-15,000 टन होने का अनुमान है। सितबंर के मध्य में दूसरे दौर के फसल की कटाई एक अहम कारक है, जिस पर फसल की गुणवत्ता तय करेगी। वर्तमान समय में प्रतिकूल मौसम के कारण फसल कटाई में देरी हो रही है और फसल नुकसान होने से कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 14 सितंबर 2018)
जीरा वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 20,200 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। बेहतर माँग के कारण प्रमुख हाजिर बाजारों में जीरे की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। रुपये के कमजोर होने और अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में जीरे की कम उपलब्धता के कारण भारतीय जीरे की निर्यात माँग में बढ़ोतरी होने से हाजिर बाजारों में कीमतों को मदद मिल रही है।
इलायची वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 1,415 रुपये से ऊपर बढ़त जारी रह सकती है। पिछले कुछ महीने से केरल में लगातार बारिश के कारण फसल को नुकसान होने से कारोबारियों को 2018-19 (जुलाई-जून) में इलायची के उत्पादन में कमी आने की संभावना है। कारोबारियों का अनुमान है कि 2018-19 में इलायची का उत्पादन पिछले वर्ष के 30,000 टन की तुलना में 12,000-15,000 टन होने का अनुमान है। सितबंर के मध्य में दूसरे दौर के फसल की कटाई एक अहम कारक है, जिस पर फसल की गुणवत्ता तय करेगी। वर्तमान समय में प्रतिकूल मौसम के कारण फसल कटाई में देरी हो रही है और फसल नुकसान होने से कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 14 सितंबर 2018)
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