हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में फिर से तेजी दर्ज करने की संभावना है और कीमतें 8,300-8,400 रुपये तक बढ़ सकती हैं।
हाजिर बाजार में, स्टॉकिस्टों को उम्मीद है कि अगले महीने में घरेलू माँग काफी अधिक होगी और कीमतों को फिर से मदद मिलेगी। चालू वर्ष में कम उत्पादन और कम कैरीओवर स्टॉक के पूर्वानुमान के कारण कीमतों में तेजी आयी है। 2020-21 (जुलाई-जून) सीजन में उत्पादन में 10-15% गिरावट की संभावना है।
जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतों में कुल मिलाकर तेजी का रुझान है और कीमतों में 14,600 रुपये के आसपास तक किसी भी गिरावट को ऽरीद के अवसर के रूप में लिया जा सकता है, और 14,800-14,900 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है, क्योंकि कम उत्पादन के अनुमानों के मुकाबले निर्यात में बढ़ोतरी की संभावना अधिक है। तुर्की में जीरा का उत्पादन पिछले साल लगभग 15,000 टन था, और जैसा कि व्यापारियों और उद्योग के लोगों ने अनुमान है कि देश में इस साल कम उत्पादन हो सकता है। ऐसी ही स्थिति सीरिया में देखी जा रही है, जहाँ राजनीतिक अस्थिरता के कारण उत्पादन कम होने का अनुमान है। अफगानिस्तान भी जीरे का कम उत्पादन करता है और निर्यात बाजार में इसका नगण्य हिस्सा है। इसका तात्पर्य है कि भारत को इस वर्ष दुनिया की अधिकांश देशों को जीरे की आपूर्ति से लाभ होगा। कारोबारी सूत्रों का कहना है कि भारत से जीरा निर्यात अगले कुछ महीनों में 2 लाख टन से अधिक हो सकता है।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में तेजी का रुझान है और कीमतों को 6,900 रुपये के पास सहारा रह सकता है। माँग की तुलना में आपूर्ति कम है जिसके कारण घरेलू खरीदारों के साथ-साथ निर्यातक भी आकर्षित हो सकते है। हाजिर बाजार की नीलामियों में मिलें और स्टॉकिस्ट सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दिल्ली के खरीदार भी खरीदारी कर रहे हैं। (शेयर मंथन, 30 मार्च 2020)
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