हल्दी वायदा (जून) की कीमतों में 8,000-8,100 रुपये के पास बाधा के साथ 7,700-7,500 रुपये तक गिरावट देखी जा सकती है।
उत्तर भारत से कमजोर माँग और हाजिर बाजारों से ताजा संकेतों की कमी के कारण खपत को लेकर संकेत कमजोर है। सांगली में मंडी एक महीने के ब्रेक के बाद पिछले हफ्ते खुल गयी, लेकिन कारोबारी गतिविधियाँ अभी भी रफ्तार पकड़ नहीं पायी हैं। आपूर्ति को देखें तो, अपने औषधीय गुणों के कारण, हल्दी अचानक किसानों द्वारा बहुत पसंद की जाने वाली फसल बन गयी है। ऐसी खबर है कि उत्तर प्रदेश में कई किसानों ने हल्दी का पक्ष लेना शुरू कर दिया है। एनसीआर से सटे पश्चिमी यूपी के कम से कम छह जिलों में, जो दिल्ली की जरूरतों को भी पूरा करता है, हल्दी की खेती का क्षेत्र लगभग दोगुना हो गया है। आँकड़ों के अनुसार 300 हेक्टेयर भूमि हल्दी की खेती के लिए इस्तेमाल की जा रही थी, जो मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, गाजियाबाद, हापुड़ और बिजनौर जैसे जिलों में बढ़कर लगभग 600 हेक्टेयर हो गयी है। यहाँ तक कि सरकार ने भारतीय मसालों के उपयोग को (जैसे का) बढ़ावा दिया था और डॉक्टर भी संक्रमण को दूर रखने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।
जीरा वायदा (जून) की कीमतों के 13,600-14,100 रुपये के दायरे में मजबूत होने की उम्मीद है। देश भर में चल रहे कोविड-19 संबंधित लॉकडाउन और प्रतिबंधें के बीच थोक खरीदारों की ओर से सुस्त माँग के कारण हमें काउंटर में ज्यादा तेजी नहीं दिख रही है।
धनिया वायदा (जून) की कीमतों में नरमी बरकरार रहने और 6,700-6,600 रुपये के स्तर तक गिरावट दर्ज करने की संभावना है। राजस्थान के एक प्रमुख बाजार कोटा में, आवक अधिक है और कुल आवक 1,500 बैग (1 बैग=445 किलोग्राम) है। बादामी किस्म का धनिया 6,900 रुपये प्रति 100 किलोग्राम और ईगल किस्म 7,300 रुपये प्रति 100 किलोग्राम में बिक रहा है। (शेयर मंथन, 07 जून 2021)
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