हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले हफ्ते भी गिरावट जारी रही क्योंकि हाजिर बाजार में नये सीजन की आवक बढ़ रही है।
अब कीमतें 8,950 रुपये पर अहम बाधा के साथ 8,000 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है। फिलहाल नये सीजन की हल्दी बाजार में दस्तक दे रही है लेकिन इस सीजन में निर्यात सामान्य है। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में हल्दी का निर्यात दिसंबर 2021 के 14,275 टन की तुलना में 25% घटकर 10,600 टन रह गया है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 10 महीनों (अप्रैल-जनवरी) में, निर्यात पिछले साल की तुलना में 20.1% घटकर 1.27 लाख टन रह गया है लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 9.2% अधिक है।
चीन में कोरोना के प्रकोप के कारण निर्यात प्रभावित होने की आशंका से जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतों पर पिछले सप्ताह दबाव रहा। यदि कीमतें 19,350 रुपये के तत्काल सहारा से नीचे टूटती है तो कीमतों में अधिक गिरावट हो सकती है। नये सीजन के जीरे की अधिकतम आवक का सीजन अगले एक महीने में शुरू हो जायेगा। ऊँझा में पुरानी और नयी फसल की आवक पिछले सप्ताह 15,000 रुपये से कम बोरी की तुलना में प्रतिदिन लगभग 20,000-25,000 रुपये बोरी (1बोरी=55 किलोग्राम) हो गयी है। नये साल में, जीरा की कीमतों में 29% से अधिक की वृद्धि हुई है और वर्तमान में गुजरात और राजस्थान राज्य में कम उत्पादन की खबरों पर कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 40% अधिक हैं। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में जीरा निर्यात 19% बढ़कर 14,725 टन हो गया, जबकि दिसंबर 2021 में 12385 टन था। लेकिन अप्रैल-जनवरी में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 23% घटकर 1.88 लाख टन रह गया है जबकि पिछले साल 2.44 लाख टन हुआ था।
धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में लगातार चौथे सप्ताह गिरावट जारी रही लेकिन पिछले एक महीने से 10,400 रुपये के स्तर पर अच्छा समर्थन मिल रहा है। अब रुकावट 11,000 रुपये के स्तर पर है। यदि कीमतें इस बाधा स्तर को पार करती है तो कीमतें 11,500 रुपये तक बढ़ सकती है। कम उत्पादन और अच्छी माँग की उम्मीद के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 50% अधिक और जनवरी के बाद से 20% अध्कि हैं। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 में धनिया का निर्यात दिसंबर 2021 में 4,630 टन की तुलना में 15% कम होकर 3,590 टन रह गया है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में निर्यात पिछले साल के 48,350 टन से 15% घटकर 41,100 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 21 मार्च 2022)
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