अमेरिकी मुद्रास्फीति के 40 साल के उच्च स्तर पर पहुँने के बाद बढ़ती कीमतों के कारण माँग में कमी आने की आशंका से तेल की जोरदार तेजी पर रोक लग गयी।
कच्चे तेल की कीमतें बेतहाशा बढ़ने के बाद नीचे फिसल गयी क्योंकि ऊर्जा व्यापारी इस बात को लेकर चिंतित हो गये थे कि मुद्रास्फीति के दबाव अभी बदतर हो सकता है क्योंकि यह युद्ध जारी रहेगा और इससे कच्चे तेल की माँग में गिरावट होगी। मुद्रास्फीति की एक अन्य रिपोर्ट के बाद, कई निवेशक चिंतित हैं कि मुद्रास्फीति के कारण मंदी के जोखिम से इस साल के अंत तक अर्थव्यवस्था पटरी से उतर सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ने की संभावना है कि ओपेक प्लस तेल उत्पादन बढ़ाने के अपने विचार को लेकर गंभीर हो सकता है। इसके बावजूद, अमेरिकी उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है और कई तेल-आयात करने वाले देश भंडार का दोहन करना जारी रेंगे क्योंकि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट गहराता जा रहा है। इस बारे में बहुत अधिक अनिश्चितता है कि छोटी अवधि में रूस का कच्चा तेल कौन और कितना खरीदेगा। डब्ल्यूटीआई कच्चे तेल की कीमतें 100-116 डॉलर के दायरे में कारोबार कर सकती है। वैश्विक स्तर पर डीजल बाजारों पर दबाव के एक अन्य संकेत में, सऊदी अरब एक आश्चर्यजनक कदम के तहत असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में ईंधन खरीदना चाह रहा है, जो आमतौर पर शुद्ध निर्यातक है। अमेरिका में डिस्टीलेट ईंधन के भंडार में भी पिछले सप्ताह तेजी से गिरावट हुई। इस सप्ताह में कच्चे तेल में उच्च स्तर से बिकवाली जारी रह सकती है, जहाँ कीमतों को 7,800 रुपये के करीब सहारा मिल सकता है और 8,250 रुपये पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है।
नेचुरल गैस भंडार पर ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट के बाद नेचुरल गैस की कीमतों में गिरावट हुई है। वर्ष की मौजूदा अवधि के दौरान गैस की कीमतों में गिरावट होती है क्योंकि इस दौरान माँग में गिरावट होती है। इस सप्ताह में कीमतें तेजी के रुझान के साथ 340-380 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 14 मार्च 2022)