सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज में सुधार के लिए इंद्रधनुष नाम से सात सूत्री कार्यक्रम शुरू किया है, जिस में नियुक्तियाँ, ब्यूरो के बोर्ड का गठन, पूँजीकरण, दबाव में कमी, सशक्तिकरण, जिम्मेदारी का प्रारूप और कामकाज में सुधार शामिल है। हालाँकि 70,000 करोड़ रुपये की नयी पूँजी डालने की योजना का एलान कुछ दिनों पहले ही कर दिया गया था, लेकिन बैंकों के हिसाब से 20,088 रुपये की पहली किस्त के वास्तविक आवंटन का एलान 14 अगस्त 2015 को किया गया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगले चार से पाँच सालों में बेसल III के मानकों को पूरा करने के लिए 1.7 से 1.8 लाख करोड़ से ज्यादा की पूँजी की जरूरत होगी। सरकार की तरफ से 70,000 करोड़ रुपये जारी होने के बाद बैंकों के पास सरकार की हिस्सेदारी घटा कर 52% तक लाने का विकल्प है। इससे वे एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पूँजी जुटा सकते हैं।
सरकारी क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष पदों पर निजी क्षेत्र के बैंकरों की नियुक्तियाँ करना लंबी अवधि में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम साबित हो सकता है। हमारा मानना है कि कामकाज में सुधार के लिए यह समग्र कार्यक्रम सरकारी क्षेत्र के बैंकों के लिए भविष्य में ग्रोथ और संपत्ति के खराब प्रबंधन के नजरिए से सकारात्मक है। हालाँकि, छोटी अवधि में ऐसा लगता है कि हाल की तेजी के बाद बैंकिंग शेयरों पर इसका असर दिख चुका है। पंकज पांडेय, रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई डायरेक्ट (Pankaj Pandey, Head Research, ICICI Direct)
(शेयर मंथन, 17 अगस्त 2015)
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