आरबीआई गवर्नर ने इस बार मौद्रिक नीति की समीक्षा में सबको सकारात्मक ढंग से चौंकाया। साथ ही उनकी टिप्पणियाँ भी अच्छी रही हैं।
उन्होंने शुरुआत में ही जिक्र किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी है और उत्पादन क्षमताओं का इस्तेमाल कम हो रहा है, जिसके चलते हमें उसके मुताबिक चलना होगा। इसको ध्यान में रख कर उन्होंने दरों में कटौती की और कहा कि हमें स्थिर और अनुमान-योग्य नीतिगत लक्ष्य रखने होंगे। इसी आधार पर उन्होंने एक साथ ही ब्याज दर में 0.50% की कटौती कर दी, बजाय ऐसा करने के कि पहले 0.25% अंक की कटौती करें और एक अनिश्चितता रहने दें कि अगली कटौती कब होगी।
आरबीआई गवर्नर का काफी ध्यान नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ऋण लेने वाले ग्राहकों तक पहुँचने पर भी रहा। उन्होंने जिक्र किया कि बैंकों ने अब तक इन कटौतियों का पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं दिया। इससे पहले अब तक आरबीआई ने दरों में जो 0.75% अंक की कटौती की थी, उसमें से बैंकों ने केवल 0.35% से 0.40% तक ही ग्राहकों को दिया है। अब आरबीआई ने जो 0.50% की कटौती की है, उसके बाद अब कुछ गुंजाइश बच नहीं जाती है। ऐसा लगता है कि ज्यादातर बैंक अगले कुछ दिनों में अपनी दरों में कमी कर देंगे।
विकास दर (जीडीपी) का अनुमान आरबीआई ने कुछ घटाया है, जो अपेक्षित ही था। इसलिए बाजार उसको बहुत तवज्जो नहीं दे रहा है। आरबीआई विकास के साथ नीतियों के टिकाऊ होने की बात कर रहा है। ऐसा नहीं हो कि अभी धड़ाधड़ दरें घटा दें और बाद में पलटना पड़े। वैश्विक स्तर पर देखें तो इस कैलेंडर वर्ष में अब 62 देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी ब्याज दरें घटायी हैं।
इसलिए विश्व में हालात अवस्फीति (डिफ्लेशन) वाले हैं और एक अघोषित मुद्रा युद्ध (करंसी वार) चल रहा है। मुद्रा युद्ध के इस परिवेश में यह डर नहीं है कि जैसे ही आप अपनी दरें घटायें, वैसे ही आपके ऋण (डेब्ट) बाजार से विदेशी पोर्टफोलिओ निवेशक (एफपीआई) बाहर निकल जायें। वे नहीं निकलेंगे और इस मुद्रा युद्ध के कारण ऐसा नहीं है कि दरें घटाने से रुपये में बहुत तीखे ढंग से गिरावट आयेगी।
कुल मिला कर आरबीआई का यह फैसला बाजार के लिए बहुत सकारात्मक है। मेरे विचार से निजी बैंकों के शेयरों में खरीदारी करनी चाहिए। यह कदम हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए भी अच्छा है। सस्ते (एफोर्डेबल) मकानों के लिए आपूर्ति करने वाली कंपनियों, जैसे सीमेंट, निर्माण आदि से जुड़ी कंपनियों के लिए यह सकारात्मक है। उम्मीद है कि सरकार भी अब काफी तेजी से स्मार्ट सिटी, सस्ते मकान, रेलवे वगैरह से जुड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ायेगी। लेकिन वैश्विक स्थिति बहुत खराब है। इसी वजह से आरबीआई के फैसले के बाद बाजार बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा।
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